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स्कूलों को फिर खोलने, शिक्षकों को मानदेय देने की मांग

 हाथरस

भारतीय शैक्षणिक संगठन के बैनर तले संगठन के अध्यक्ष और शिक्षक विधायक डॉ. आकाश अग्रवाल के नेतृत्व में वित्तविहीन स्कूलों के प्रबंधकों, प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने डीआईओएस ऋतु गोयल से मुलाकात की। शासन के नाम ज्ञापन सौंपकर बंद चल रहे विद्यालयों को फिर से खुलवाने और शिक्षकों को मानदेय दिए जाने की मांग की गई।



भारतीय शैक्षणिक संगठन के अध्यक्ष एवं शिक्षक विधायक डॉ. आकाश अग्रवाल ने कहा कि मार्च 2020 से कोरोना महामारी के कारण विद्यालय लंबे समय तक बंद रहे हैं। वर्तमान में भी कक्षा एक से 12 तक के विद्यालय पुन: बंद कर दिए गए। इस कारण छात्र-छात्राओं का बौद्घिक व मानसिक विकास बाधित हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पुन: स्कूल बंद करने का निर्णय अधिक ठंड को देखते हुए लिया गया था। इसे बाद में कोरोना की वजह से बढ़ा दिया गया। अब न तो उतनी सर्दी है और न ही कोरोना का उतना प्रभाव। अन्य राज्यों में भी विद्यालय खोलने का निर्णय लिया जा चुका है। डीआईओएस ने आश्वासन दिया कि इस बारे में शासन को अवगत कराया जाएगा। ज्ञापन देने वालों में महासचिव राजेंद्र सिंह, उमेश दीक्षित, विनीत गौतम, मनोज कुमार शर्मा, किशन सिंह आदि शामिल थे। संवाद

आर्थिक तंगी से जूझ रहे स्कूल
हाथरस। पिछले एवं इस वर्ष में भी विद्यार्थियों के परिजनों द्वारा फीस का भुगतान विद्यालय में नहीं किया जा रहा है। इस कारण वित्तविहीन स्कूलों को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अक्तूबर 2020 में प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए शिक्षकों को आर्थिक सहयोग देने की बात कही थी। इस संदर्भ में विद्यालयों से 15 हजार रुपये से कम मानदेय लेने वालों की सूची भी तैयार करवाई गई थी। इसके बावजूद अब तक कोई आर्थिक सहयोग नहीं दिया गया है। संवाद
ये हैं प्रमुख मांगें
- स्कूलों को तत्काल खोला जाए। कक्षा एक से 12 तक के छात्रों को स्कूलों में आने की अनुमति दी जाए और विधिवत शिक्षा शुरू कराई जाए।
- शिक्षकों को कोरोना काल का आर्थिक सहयोग दिया जाएगा।
- शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है। इस पर रुपया सरकार के द्वारा व्यय किया जाता है, इसलिए तत्काल शिक्षकों को मानदेय दिया जाए।
- उत्तर प्रदेश चुनाव के दृष्टिगत कुछ वित्तविहीन स्कूलों के भवन रिजर्व पुलिस बल या पीएसी के रुकने के लिए अलॉट कर दिए गए हैं। वित्तविहीन विद्यालयों में संसाधनों का अभाव होता है, इसलिए केवल सरकारी विद्यालयों में ही रिजर्व पुलिस बल को रुकवाया जाए।

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