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स्कूलों के जर्जर भवन से मुसीबत में जान, अपर मुख्य सचिव का आदेश भी ठंडे बस्ते में


ज्ञानपुर। कालीन नगरी में भी दर्जनों स्कूलों के भवन और सरकारी कार्यालय जर्जर हो चुके हैं। समय रहते अफसरों ने ध्यान नहीं दिया तो गाजीपुर जैसी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता। दो साल पूर्व अपर मुख्य सचिव का आया आदेश भी ठंडे बस्ते में है।




वर्ष 2021-22 के सत्र में बेसिक शिक्षा विभाग के सर्वे में 150 स्कूलों के 374 भवन जर्जर घोषित हुए थे। इन भवनों में कुछ में कक्षाएं नहीं चलती, जबकि कुछ स्थानों पर आज भी बच्चों को पढ़ाया जाता है। गाजीपुर में स्कूल के गेट का खंभा गिरने से एक बच्चे की मौत के बाद एक बार फिर शिक्षा महकमे में हलचल मच चुकी है। आठ साल पूर्व सुरियावां के बेला प्राथमिक विद्यालय का बारजा ढह गया था, लेकिन छुट्टी होने से कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी। छह महीने पूर्व अपर मुख्य सचिव ने पत्र

भेजकर ऐसे भवनों को गिराने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गई। कई स्कूलों की दीवारें फट गई हैं। कहीं-कहीं छत जर्जर हो गई हैं। अल्पसंख्यक कार्यालय, डूडा कार्यालय, पूर्ति विभाग, विपणन कार्यालय संग 25 से अधिक आयुर्वेदिक चिकित्सालय और एडिशनल स्वास्थ्य केंद्र जर्जर भवन में चल रहे हैं। इसमें कई

भवन बेकार घोषित हो चुके हैं, लेकिन नए भवन न बनने से जान जोखिम में डालकर काम करने को विवश हैं।

केस एक : जिला मुख्यालय नगर ज्ञानपुर में स्थित कंपोजिट विद्यालय परिसर में जर्जर और निष्प्रयोज्य घोषित भवन वर्षों से बच्चों के लिए खतरा बने हैं। आज तक इन्हें ध्वस्त कराने के लिए पहल नहीं हो सकी। हालांकि बच्चे उसमें पढ़ते नहीं, लेकिन दिन भर उसमे आना-जाना लगा रहता है। इससे हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।

केस दो : प्राथमिक विद्यालय बड़वापुर के कक्ष जर्जर हो चुके हैं। छतों में दरारें दिखती हैं। भवन को निष्प्रयोज्य घोषित किया जा चुका है। दूसरा कोई कक्ष न होने से उसी भवन में बैठाकर बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है। इससे हादसे का खतरा बना है। विभाग की ओर से नए भवन के निर्माण को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।


जर्जर और निष्प्रयोज्य भवनों को ध्वस्त कराने के लिए समस्त खंड शिक्षाधिकारी और प्रधानाध्यापकों को निर्देश जारी है। 150 से अधिक भवनों को गिराने के लिए नीलामी प्रक्रिया संपन्न कराकर कार्रवाई कराई जा रही है। भूपेंद्र नारायण सिंह, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी

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