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बच्चे स्कूल जाने के लिए कर रहे थे नदी पार, CM योगी ने देखते ही सुना दिया ये फरमान; अधिकारी भी रह गए हक्का-बक्का

झाँसी
बंगरा ब्लॉक के दो गाँवों के बीच बहने वाली पथरई नदी अब बच्चों की शिक्षा में बाधा नहीं बन पाएगी। योगी सरकार ने यहाँ पुल बनाने का फरमान सुना दिया है। सीएम कार्यालय से आये इस फरमान के पीछे की कहानी काफी रोचक है क्योंकि नदी के इस पुल का प्रस्ताव तो एक साल पहले बना था। लेकिन फाइलों में दबा था।

बंगरा ब्लॉक के दो गाँवों के बीच बहने वाली पथरई नदी अब बच्चों की शिक्षा में बाधा नहीं बन पाएगी। योगी सरकार ने यहाँ पुल बनाने का फरमान सुना दिया है। सीएम कार्यालय से आये इस फरमान के पीछे की कहानी काफी रोचक है, क्योंकि नदी के इस पुल का प्रस्ताव तो एक साल पहले बना था।








लेकिन फाइलों में दबा था। इस बीच नदी पार करते हुए बच्चों की फोटो किसी ने वायरल कर दी, जो सीएम तक पहुँच गई और सालभर से लटका प्रस्ताव झटके में पास हो गया





कुछ दिन पहले इण्टरनेट पर एक फोटो वायरल हुई, जिसमें बच्चे नदी को पार कर स्कूल जाते हुए दिखाई दिए। इस फोटो पर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ की भी नजर पड़ गई। उन्होंने फरमान सुनाया कि यह फोटो जहाँ की भी हो, वहाँ तत्काल कार्यवाही की जाए।






सीएम कार्यालय ने छानबीन की तो पता चला कि झाँसी के बंगरा ब्लॉक के ग्राम राजगिर और लठवाई के बीच पथरई नदी बहती है। राजगिर में प्राथमिक विद्यालय है, जिसमें पढ़ने के लिए ग्राम लठवाई के बच्चे भी जाते हैं।

उन्हें नदी पार करनी पड़ती है और बरसात में जब नदी का वेग बढ़ जाता है तो बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। सीएम कार्यालय ने पीडब्लूडी विभाग से सम्पर्क साधा तो पता चला कि इस नदी पर ब्रिज बनाने का प्रस्ताव साल पहले बनाया गया था। 4.44 करोड़ की लागत से बनने वाले इस ब्रिज का निर्माण करने के लिए शासन से धनराशि नहीं मिल पाई। फिर क्या था, पलक झपकते ही पुल निर्माण को मंजूरी मिल गई।





अधिशासी अभियन्ता राहुल शर्मा ने बताया कि बंगरा ब्लॉक के राजगिर में प्राथमिक विद्यालय है। राजगिर और लठवाई ग्राम के बच्चे स्कूल आने जाने के लिए पथराई नदी को पार करते हैं। शासन के आदेश पर अब यहाँ 3 किलोमीटर लम्बा एवं 3 मीटर चौडा पुल बनाया जाना है।





इसके लिए विभाग द्वारा मौके पर पहुँचकर कार्यस्थल का चयन करते हुए इसकी जानकारी मुख्यालय भेज दी है। यहाँ पर बहुत पहले से पुल निर्माण की माँग ग्रामीणों द्वारा की जा रही थी।

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