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DBT को शिक्षक काट रहे बैंकों के चक्कर, मनमानी के चलते जिले में 35 हजार बच्चे ड्रेस से वंचित

 DBT को शिक्षक काट रहे बैंकों के चक्कर, मनमानी के चलते जिले में 35 हजार बच्चे ड्रेस से वंचित


परिषदीय स्कूलों के 35 हजार बच्चों को डीबीटी की राशि का इंतजार है। बैकों द्वारा अभिभावकों के खातों को आधार से लिंक नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण शासन से बार-बार डाटा रिजेक्ट में आ रहा है। बीएसए एवं ब्लॉक के बीईओ द्वारा बार-बार बैंकों को पत्र लिखा जा रहा है। मगर अभी तक उक्त खातों को आधार से लिंक नहीं किया गया है। शिक्षक भी बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं।




बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में शासन द्वारा बच्चों को ड्रेस, स्वेटर, बैग और जूते-मौजों की राशि खरीदने के लिए 1100-1100 रुपये दिए जा रहे हैं। जिले की बात करें तो यहां पर 2.22 लाख बच्चों के खातों में राशि आ गई है और अभी 35,067 बच्चे ऐसे हैं, जिनके अभिभावकों के खाते आधार से लिंक नहीं हैं, और इनके खातों में राशि नहीं आई है। विभाग के अनुसार बैंकों में पहुंचकर प्रार्थना पत्र के साथ आधार कार्ड दे रहे हैं, मगर संबंधित बैंक कर्मचारियों को खातों को आधार से लिंक करने में देरी की जा रही है। बीएसए अखंड प्रताप सिंह द्वारा भी लीड बैंक मैनेजर और बीईओ द्वारा संबंधित बैंकों को कई बार पत्र जारी किया जा चुका है, मगर विभाग के सामने समस्या यह समस्या लगातार आ रही है। बैंकों की मनमानी के कारण बच्चों का पैसा अभी तक शासन में फंस हुआ है। बताया गया कि अभी तक इन बच्चों के अभिभावक ड्रेस, जूते-मौजे, स्वेटर और बैग नहीं खरीद सके हैं। अभिभावक भी राशि के लिए बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। बीएसए ने अब फिर से लीड बैंक मैनेजर को पत्र लिखा है।


बैंक स्तर से खातों को आधार से लिंक करने में देरी हो रही है। अभिभावकों को बैंकों में भेजा जा रहा है। इसी माह 35 हजार बच्चों के खातों में यह राशि जल्द आ जाएगी। डीबीटी पर तेजी से जिले में कार्य चल रहा है।

-अखंड प्रताप सिंह, बीएसए

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