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अभ्यर्थियों ने उठाए सवाल : बड़ी परीक्षाओं की क्यों नहीं जारी की जा रही उत्तर कुंजी


उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) सीधी भर्ती के प्राप्तांक और कटऑफ जारी करने का ढोंग कर रहा है। यह आरोप प्रतियोगी छात्रों ने लगाया है। उनका कहना है कि आयोग अगर पारदर्शिता के साथ भर्ती परीक्षाएं कराना चाहता है तो सबसे पहले पीसीएस, समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) जैसी प्रमुख परीक्षाओं के प्राप्तांक एवं कटऑफ के साथ अंतिम उत्तर कुंजी भी जारी की जाए


प्रतियोगी छात्रों ने सवाल उठाए हैं कि अगर सीधी भर्ती का अंतिम चयन परिणाम जारी होते ही अभ्यर्थियों के प्राप्तांक एवं कटऑफ अंक भी जारी कर दिए जा रहे हैं, तो लिखित परीक्षाओं के माध्यम से होनी वाली भर्तियों के प्राप्तांक एवं कटऑफ अंक जारी करने में क्या दिक्कत है। छात्रों का दावा है कि आयोग अगर प्राप्तांक एवं कटऑफ जारी करेगा तो उसे अंतिम उत्तर कुंजी भी जारी करनी होगी और इसके बाद अभ्यर्थी उत्तर कुंजी को चुनौती देते हैं, तो आयोग के लिए जवाब देना मुश्किल होगा।

प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि सीधी भर्ती में लिखित परीक्षा नहीं होती है, सो उसमें उत्तर कुंजी जारी करने की जरूरत नहीं पड़ती। सीधे इंटरव्यू के माध्यम से भर्ती होने पर प्राप्तांक एवं कटऑफ को लेकर भी अभ्यर्थी अपनी आपत्ति दर्ज नहीं करा पाते हैं, जबकि लिखित परीक्षा के माध्यम से होने वाली भर्तियों में अभ्यर्थी मजबूती के साथ अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।आयोग की बैठक में पारित हो चुका है उत्तरकुंजी जारी करने का प्रस्तावपारदर्शिता का दावा करने वाले आयोग को सबसे पहले पीसीएस, आरओ/एआरओ, प्रवक्ता, अभियंत्रण सेवा जैसी प्रमुख परीक्षाओं की अंतिम उत्तर कुंजी जारी करनी चाहिए। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि आयोग वर्ष 2015 से पहले तक अंतिम उत्तर कुंजी जारी नहीं करता था, जबकि उससे पहले ही आयोग की बैठक में उत्तर कुंजी जारी करने का प्रस्ताव पारित हो चुका था।

अभ्यर्थी जब कोर्ट में गए तो आयोग ने वर्ष 2015 से उत्तर कुंजी जारी करनी शुरू की। इसके बाद पीसीएस-2015, 2016 और 2017 की उत्तर कुंजी में सवालों के विवाद को लेकर अभ्यर्थी कोर्ट गए।

परीक्षाओं के आयोजन पर सवाल उठने लगे। आयोग ने वर्ष 2019 या इसके बाद हुईं परीक्षाओं की अंतिम उत्तर कुंजी जारी नहीं की है। समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि इस बार अभ्यर्थी फिर कोर्ट की शरण में गए हैं। आयोग अगर पारदर्शिता का दावा करता है तो प्राप्तांक, कटऑफ और अंतिम उत्तर कुंजी नियमित रूप से जारी की जाए।


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