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'ला नीना' के चलते फरवरी अंत तक सर्दी, जानिए आखिर क्या है 'ला नीना'

देश में इस साल ठंड की अवधि बढ़ने के पीछे ‘ला नीना’ मुख्य कारण बना हुआ है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, भारत में इसका असर फरवरी अंत तक रहेगा। प्रशांत महासागर की ठंडी हवाएं आस्ट्रेलिया से हंिदू महासागर होते हुए भारत के मौसम को प्रभावित कर रही हैं। ये ठंडी हवाएं पश्चिमी विक्षोभ और ओलावृष्टि का कारण बन रही हैं। इसकी वजह से ठंड अभी तक घटने का नाम नहीं ले रही है।


इस साल उत्तर छत्तीसगढ़ के पांच जिले अंबिकापुर, जशपुर, बलरामपुर, जांजगीर और बिलासपुर में कड़ाके की ठंड की चपेट में हैं। पठारी इलाकों में हर दिन पाला गिर रहा है। इसके चलते बीच-बीच में बारिश भी हो रही है। इन सब कारणों से फरवरी के अंत तक ठंड पड़ने की संभावना जताई जा रही है। ला नीना और अल नीनो पूरे विश्व के मौसम को प्रभावित करने वाले कारक रहे हैं। चूंकि देश में इस साल ला नीना वर्ष घोषित है, लिहाजा इसका असर भी उतना ही प्रभावी है। इसके कारण उत्तरी इलाके में पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवात का ज्यादा असर हो रहा है। जनवरी में ही छत्तीसगढ़ में छह बार पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो चुका है और फरवरी के पहले सप्ताह में फिर से आने भविष्यवाणी है।

स्पेनिश शब्द है ला नीना : स्पेनिश भाषा में ला नीना का मतलब होता है नन्ही बच्ची। नेशनल ओशनिक सर्विस आफ नेशनल ओशनिक एंड एटमास्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, ला नीना को कभी-कभी एल विएजो या एंटी-एल नीनो भी कहा जाता है।

’>>प्रशांत महासागर में सक्रिय ‘ला नीना’ का उत्तर भारत में पड़ रहा ज्यादा असर

’>>इससे ही लगातार पश्चिमी विक्षोभ बेमौसम बारिश बर्फबारी के साथ पड़ रहा है पाला

हिमालय में बर्फबारी का दौर जारी है। शिमला में शनिवार को हालांकि धूप खिली ’ प्रेट्र

इसका यह होता है असर

अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टीटय़ूट के अनुसार, ला नीना की वजह से समुद्री जल स्तर ठंडा हो जाता है। ला नीना अपनी गति के साथ उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की दिशा बदल सकती है। उत्तरी आस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में काफी ज्यादा नमी वाली स्थिति पैदा होने के कारण इंडोनेशिया और आसपास के इलाकों में भारी बारिश हो सकती है। वहीं, इक्वाडोर और पेरू में सूखे की स्थिति बन रही है। भारत में जबरदस्त ठंड के साथ बारिश हो रही है। ओलावृष्टि भी हो रही है।

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