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Basic shiksha news: पोर्टल पर बच्चों का फोटो अपलोड करना शिक्षकों के लिए मुसीबत




पडरौना। डीबीटी का लाभ लेने वाले बच्चों के फोटो प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड करना शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गया है। क्योंकि कई बच्चों के अभिभावकों ने डीबीटी की धनराशि निजी कार्यों में खर्च कर दी है, जिससे बहुत बच्चे यूनिफॉर्म में स्कूल नहीं आ रहे हैं। जबकि शासन के आदेश पर अध्यापकों को एक सप्ताह का समय दिया गया है। एक सप्ताह में अध्यापकों को ड्रेस, जूते-मोजे और बैग में बच्चों का फोटो प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड करना होगा। निर्धारित समय में बच्चों का फोटो प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड न करने वाले अध्यापकों पर कार्रवाई होरी तय है। इस निर्देश के बाद शिक्षकों की चिंता बढ़ गई है।






बेसिक शिक्षा विभाग के 2464, 54 वित्तपोषित जूनियर हाईस्कूल, 55 वित्तपोषित माध्यमिक, 14 कस्तूरबा के अलावा मदरसा, संस्कृत बोर्ड और समाज कल्याण से संचालित जिले के 2652 विद्यालयों में नामांकित 2.97 लाख विद्यार्थियों के अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से ड्रेस, जूता, मोजा, स्वेटर और स्टेशनरी की खरीदारी करने के लिए 1200 रुपये भेजना है। शासन की तरफ से प्राप्त इस धनराशि से अभिभावक इन सामानों की खरीदारी करेंगे। इन कुल विद्यार्थियों में से 1.91 लाख विद्यार्थियों के अभिभावकों के खाते में डीबीडीटी के माध्यम से ड्रेस की खरीदारी के लिए शासन से 2,97,676 रुपये अवमुक्त कर दी गई है। जबकि 61 अभिभावकों के खाते में यूनिफार्म की धनराशि भेजने के लिए उनके खाते को अपडेट किया जा रहा है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि जिन अभिभावकों के खाते में ड्रेस की धनराशि भेज दी गई है। उनमें से अधिकांश अभिभावक बच्चों का ड्रेस और स्वेटर नहीं खरीद रहे हैं। मजबूरन बच्चे या तो पुराना ड्रेस पहनकर स्कूल आ रहे हैं या बिना ड्रेस के ही विद्यालय पहुंच रहे हैं। अभिभावकों की यह लापरवाही अब शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गई है। क्योंकि शिक्षकों को शासन की तरफ से मिले आदेश के अनुसार एक सप्ताह के भीतर को ड्रेस, जूते-मोजे और बैग में बच्चों का फोटो प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड करना होगा। निर्धारित समय में बच्चों का फोटो प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड न करने वाले अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई होना तय है। ऐसे में शिक्षक परेशान हैं। वे अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें बच्चों का स्वेटर समेत अन्य ड्रेस शीघ्र खरीदने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

डीबीटी के माध्यम से अभिभावकों के खाते में भेजी गई धनराशि से छात्र-छात्राओं की ड्रेस खरीदनी है। उसे अन्य किसी कार्य में खर्च नहीं करना है। सभी अभिभावकों से अपील है कि वे मिली धनराशि का उपयोग करते हुए विद्यार्थियों के संपूर्ण ड्रेस की खरीदारी करें। -डॉ. राम जियावन मौर्या, बीएसए, कुशीनगर।



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