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बजट खपाने की भरपूर कोशिश, शिक्षा सहित अन्य विभागों की बची हुई रकम हो गई वापस


पडरौना। वित्तीय वर्ष 2022-23 के अंतिम दिन शुक्रवार को देर रात तक सरकारी कार्यालयों में बजट खपाने का काम चलता रहा। हालांकि इसके बाद भी जिले प्रमुख विभागों की 33 करोड़ रुपये से अधिक सरेंडर (खारिज) हो गई। सड़क, स्कूल, अस्पताल, पुलिस विभाग के थानों के निर्माण सहित अन्य काम नहीं होने से यह बजट वापस हुुुआ है। इनमें अधिकतर विभाग ऐसे हैं, जिनकी कार्ययोजना ही तैयार नहीं हो सकी थी।
जिले के सभी सरकारी कार्यालयों में वित्तीय वर्ष के आखिरी सप्ताह में शुक्रवार को बजट खपाने के लिए कर्मचारी जुटे रहे। कार्यदायी संस्थाओं में जेई, एई, अधिशासी अभियंता के साथ ही कैश्यिर व एकाउंटेंट जुझते नजर आए। इस बीच पीडब्लूडी, सिंचाई, आरईएस, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, मेडिकल कॉलेज, कृषि व कलेक्ट्रेट समेत अन्य कार्यालयों में कर्मचारी देर रात तक कार्य करते रहे। इन कार्यालयों में दूसरे कार्य के लिए पहुंचे लोगों को कर्मचारियों ने वस्यत होने का हवाला देकर टाल दिया।



स्वास्थ्य विभाग को मिले 19 करोड़ रुपये के बजट में 17 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इस विभाग में 16 लाख रुपये का बजट सरेंडर हुआ है। इस पैसे से कई सीएचसी, पीएचसी और एएनएम सेंटर की मरम्मत, निर्माण कार्य सहित अन्य काम पूरे हो जाते। सीएमओ डॉ. सुरेश पटारिया का कहना है कि टेंडर नहीं होने के कारण बजट वापस हुआ है।
कलेक्ट्रेट में विभिन्न विभागों के विकास कार्य के लिए 93 करोड़ रुपये का बजट मिला था, जिसमें 87 करोड़ ही खर्च हुआ। 62 लाख रुपये सरेंडर हुए हैं। पशुपालन विभाग का 81389812 रुपये का बजट पिछले वित्तीय वर्ष में मिला था। पशु पालन विभाग की तरफ से सिर्फ 75518308 रुपये खर्च हुए। इस वजह से 5871504 रुपये का बजट वापस करना पड़ा। पुलिस विभाग का 2142829503 रुपये का बजट था, जिसमें महज 2139462266 रुपये ही खर्च हुए। इससे 3367237 रुपये बच गए। माध्यमिक शिक्षा का बजट कुल 1254995730 रुपये का था जिसमें से विभाग की तरफ से 1220700898 रुपये ही खर्च हुए। इस वजह से इस विभाग का करीब 34294832 रुपये सरेंडर हुए हैं।
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जर्जर स्कूल भवनों का नहीं हो सका मरम्मत
समग्र शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय के जर्जर भवनों के निर्माण एवं मरम्मत के लिए शासन से मिले बजट 68 करोड़ पूरे रुपये खर्च नहीं हो पाए। इस विभाग में कुल 74 लाख रुपये सरेंडर हुए हैं। इससे जिले के जर्जर हो चुके स्कूलों के पुर्ननिर्माण के लिए इंतजार करना होगा। बीएसए डॉ. राम जियावन मौर्या ने बताया कि कुछ स्कूलों के संबंध में रिपोर्ट नहीं मिली थी। इस वजह से यह नौबत आई।
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सड़क निर्माण एवं मरम्मत के वापस हुए 10 करोड़ रुपये
पीडब्लूडी प्रांतीय खंड में सड़क, पुलिया निर्माण व मरम्मत के लिए आए 90 करोड़ रुपये के बजट में 80 करोड़ से खर्च हुए। इस विभाग में 10 का बजट वापस हुआ। एक्सईएन मृत्युंजय कुमार ने बताया कि सड़कों का टेंडर नहीं होने के कारण पैसा वापस हुआ है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 15 दिन के अंदर सड़क एवं पुलिया के निर्माण के लिए बजट प्राप्त हुआ था। इतने कम दिनों में निविदा प्रक्रिया पूर्ण नहीं की जा सकी, जिससे यह धनराशि वापस किया गया।
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स्कूल बदहाल, नहीं हो सका कायाकल्प
शिक्षा विभाग में स्कूलों के कायाकल्प सहित अन्य योजनाओं के लिए बजट मिला था। लेकिन समय से कार्ययोजना तैयार नहीं होने की वजह से वर्ष 2022-23 के वित्तीय वर्ष में बजट वापस हो गया। रामकोला नगर स्थित पूर्व माध्यमिक स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है। यहां टूटे फर्श पर बैठकर बच्चे पढ़ते हैं। बच्चों के लिए स्कूल में कोई सुविधा नहीं है। इस स्कूल का कायाकल्प नहीं हो सका है। इस स्कूल का सुंदरीकरण कराने के लिए बजट मांगा गया, लेकिन पैसा नहीं मिल सका। इस विभाग के 7493776 रुपये 31 मार्च को सरेंडर हुए हैं।
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सड़क की मरम्मत नहीं हो सकी, वापस हो गया पैसा
जिले में कई सड़कों की मरम्मत नहीं हो सकी है। नगर के भीतर अंबे चौक से लेकर बेलवा चुंगी तक सड़क की हालत काफी खराब है। करीब तीन साल से इस सड़क की मरम्मत नहीं हुई है। इससे लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है। इस सड़क की मरम्मत पीडब्ल्यूडी नहीं करा पाया। एक्सईएन मृत्युंजय कुमार ने बताया कि सड़क की मरम्मत के लिए इस वित्तीय वर्ष में कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह से कप्तानगंज से झांगा और नेबुआ से जटहां तक सड़क के मरम्मत की दरकार है। जिले में सड़कों की खराब हालत होने के बावजूद पीडब्ल्यूडी का 229305430 वापस हो गया।

वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन शुक्रवार की देर रात तक काम किया गया है। जिले से 347711677 की धनराशि वापस हुई है।
प्रवीण कुमार सिंह, चीफ ट्रेजरी ऑफिसर

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