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चुनाव ड्यूटी पर रहे गैर हाजिर तो पहुंच सकते हैं जेल, जानें क्या कहते हैं नियम

लोकतंत्र के महापर्व में ड्यूटी करने से कन्नी काटने वालों की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। ड्यूटी जॉइन न करने वालों को निलंबन के साथ ही जेल की हवा तक खानी पड़ सकती है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने अब तक ड्यूटी जॉइन नहीं करने वाले 363 कर्मचारियों को लेकर संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है। 


विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में पीठासीन अधिकारी, मतदान अधिकारी प्रथम, मतदान अधिकारी द्वितीय और मतदान अधिकारी तृतीय की अहम भूमिका होती है। इसके लिए ड्यूटी लगाने के साथ ही केकेसी कॉलेज में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पिछले दो दिन में 363 कर्मचारी प्रशिक्षण से गायब रहे। इन्होंने ड्यूटी भी जॉइन नहीं की है। जिला निर्वाचन अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने गैरहाजिर रहे कर्मचारियों को 18 तक ड्यूटी जॉइन करने के साथ ही प्रशिक्षण लेने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद एफआईआर दर्ज करवा दी जाएगी।


इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान ड्यूटी जॉइन न करने पर 169 कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करवाने के साथ ही एक दिन का वेतन भी काटा गया था। हालांकि चुनाव के बाद नोटिस का जवाब मिलने पर केस वापस ले लिए गए थे।

छह माह तक की सजा
अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी जानबूझकर खुद को चुनाव ड्यूटी से अलग रखता है तो यह असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के अलावा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 128 के तहत कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर छह माह की सजा का प्रावधान है।

मिलता है मेहनताना
चुनावी ड्यूटी करने वाले पीठासीन अधिकारी को 1550 रुपये, मतदान कर्मचारी प्रथम को 1150 रुपये, मतदान कर्मचारी द्वितीय को 900 रुपये और मतदान कर्मचारी तृतीय को 850 रुपये मिलते हैं। वहीं रिजर्व में रहने वाले पीठासीन अधिकारियों को 850 रुपये, रिजर्व मतदान कर्मचारी प्रथम व द्वितीय को 650 रुपये और मतदान कर्मचारी तृतीय को 450 रुपये दिए जाते हैं।

चाचा विधायक हैं, नहीं करूंगा ड्यूटी
ड्यूटी करने में आनाकानी के साथ ही दबंगई का सिलसिला भी शुरू हो गया है। एक पीठासीन अधिकारी ने जिला निर्वाचन कार्यालय में शिकायत करते हुए बताया है कि उनका मतदान अधिकारी प्रथम ड्यूटी से इनकार कर रहा है। फोन पर कहा है कि मेरे चाचा विधायक हैं, ड्यूटी नहीं करूंगा। पीठासीन अधिकारी की शिकायत पर छानबीन में पता चला कि मतदान अधिकारी प्रथम की ड्यूटी दो बूथों पर लग गई है। इसके साथ ही वह शिकायतकर्ता पीठासीन अधिकारी के साथ ड्यूटी नहीं करना चाहता है। इस जानकारी के बाद उसे हिदायत देकर ड्यूटी के लिए भेजा जा रहा है।



चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को नहीं छोड़ रहे साहब
अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन, महालेखाकार कार्यालय, नगर निगम और बेसिक शिक्षा के अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा बड़े पैमाने पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी ड्यूटी करने से बच रहे हैं। इसकी वजह पता करने के दौरान एक महकमे से जिला निर्वाचन कार्यालय में आए पत्र से कारण सामने आया। पत्र के जरिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की ड्यूटी न लगाने का आग्रह किया गया है। गुपचुप पड़ताल में पता चला कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी चुनाव में ड्यूटी करना चाहते हैं, लेकिन साहब की बेगारियों से फुर्सत नहीं पा रहे हैं।

ड्यूटी कटवाने वालों में दंपती सबसे आगे
विधानसभा चुनाव में अलग-अलग विभागों से भेजे गए कर्मचारियों व अधिकारियों के ब्योरे के आधार चुनाव ड्यूटी लगाई गई है। जरूरतमंदों की स्क्रीनिंग के लिए पांच सदस्यीय समिति भी गठित की गई है। बीमार, असहाय, घर में बेटी-बेटे या बहन की शादी होने या किसी अन्य प्रमुख कारण सामने आने पर कर्मचारी की ड्यूटी समिति के निर्णय के बाद हटाई जा रही है। एक कर्मचारी ने बताया कि ड्यूटी कटवाने में ऐसे दंपती ज्यादा हैं, जहां दोनों की चुनाव में ड्यूटी लग गई है। नियमानुसार भी पति-पत्नी में एक की ही ड्यूटी लगाई जा सकती है।

जिला निर्वाचन अधिकारी अभिषेक प्रकाश का कहना है कि विधानसभा चुनाव की ड्यूटी के लिए करवाई जा रही ट्रेनिंग से अनुपस्थित होने वालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद ड्यूटी जॉइन नहीं करने वालों के खिलाफ एफआईआर करवाई जाएगी। संबंधित विभाग को ट्रेनिंग वाले दिन की कर्मचारी की तनख्वाह रोकने के भी निर्देश दिए गए हैं।


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