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नई शिक्षा नीति पर राष्ट्रपति बोले, समृद्ध विरासत को हासिल करने की दिशा में एक निर्णायक कदम

 नई शिक्षा नीति पर राष्ट्रपति बोले, समृद्ध विरासत को हासिल करने की दिशा में एक निर्णायक कदम

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि भारत को समृद्ध शिक्षा प्रणाली की अपनी विरासत को फिर से हासिल करना है और नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 इस दिशा में


एक पूर्ण नियोजित और निर्णायक कदम है। उन्होंने यहां थिरूवललूवर विशवविद्यालय के 16वें दीक्षांत समारोह में कहा, 'ब्रिटिश शासन से पहले भारत में शिक्षा की समृद्ध व्यवस्था थी और महात्मा गांधी ने इसे एक 'सुंदर वृक्ष' कहा था जिसे ब्रिटिश शासकों ने 'सुधारों' के नाम पर काट दिया था। हमें अभी उन तीव्र बदलावों से उबरना है और अपनी विरासत को हासिल करना है।' उन्होंने कहा, 'नई शिक्षा नीति 2020 इस दिशा में एक पूर्ण नियोजित और निर्णायक कदम है। इसमें बच्चों और युवाओं को समाज की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ व्यक्तिगत विकास का एक हिस्सा बनाने के लिए शिक्षित करने के तरीके को बदलने की एक समग्र दृष्टि है।' राष्ट्रपति ने कहा कि नीति देश की प्राचीन धरोहरों और आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ है। कोविंद ने कहा, 'यह नैतिक शिक्षा और जागरूकता पर जोर देती है। इस तरह की प्रणाली से होकर गुजरने वाले एक छात्र में आत्मविश्वास उच्च स्तर का होगा और वह भविष्य की चुनौतियों से बेहतर ढंग से निपटने में सक्षम होगा। राष्ट्रपति ने कहा, 'इसके लिए, उच्च शिक्षा प्रणाली को न्यायसंगत, विशेषज्ञता से पूर्ण और सशक्त बनाना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहती है। जैसा कि ( नोबेल पुरस्कार विजेता) सर सीवी रमन ने कहा था कि उच्च शिक्षा संस्थानों को ज्ञान विस्तार और आर्थिक दिशा में देश का नेतृत्व करना चाहिए।' उन्होंने कहा कि यह संतोष की बात है कि भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली का विस्तार ग्रामीण और कमजोर वर्गों तक पहुंच बनाने के लिए हुआ है। उन्होंने कहा, यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली बन गई है।

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