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दूसरे राज्यों की एजेंसियां करेंगी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन, नए शिक्षा सेवा चयन आयोग की नियमावली में की गई व्यवस्था


प्रयागराज। नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन के बाद आयोग की परीक्षाओं के लिए ओएमआर शीट की छपाई और उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश की किसी भी एजेंसी को नहीं दी जाएगी। अन्य राज्यों की प्रतिष्ठित एजेंसियां यह जिम्मेदारी संभालेंगी। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग नियमावली-2023 में इस व्यवस्था को शामिल किया गया है।

परीक्षा में पारदर्शिता के मद्देनजर तय किया गया है कि नए आयोग के गठन के बाद जो भर्ती परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी, उनकी ओएमआर शीट और उत्तर

पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य अलग-अलग ऐसी प्रतिष्ठित संस्थाओं से कराया जाएगा, जो उत्तर प्रदेश से बाहर की हों। एजेंसियों को नियुक्त करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि संस्था पंजीकृत हो, उसकी ख्याति अच्छी हो और उसके विरुद्ध किसी भी राज्य में कोई प्रतिकूल तथ्य न पाया गया हो।

ऐसी एजेंसी की नियुक्ति परीक्षा समिति के वरिष्ठतम सदस्य (अध्यक्ष को छोड़कर) की ओर से की जाएगी, जो वरिष्ठतम सदस्य की ओर से दिए गए गए स सभी निर्देशों का यथावत पालन करने के लिए बाध्य होगी और उस कार्य की गोपनीयता से संबंधित जिम्मेदारी संस्था एवं
वरिष्ठतम सदस्य की होगी। नियुक्त एजेंसियां ओएमआर शीट की छपाई, उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन एवं अन्य कार्य करेंगी

और संबंधित प्रपत्र मुहर बंद लिफाफे में परीक्षा समिति के वरिष्ठतम सदस्य को संस्था द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा।


परीक्षा नियंत्रक की अभिरक्षा में होंगे अभिलेख

नियमावली में प्रावधान किया गया है कि परीक्षाओं से संबंधित सभी संविदाएं लिखित रूप से होंगी और समस्त दस्तावेज एवं परीक्षा संबंधी अभिलेख परीक्षा नियंत्रक के वैयक्तिक अभिरक्षा में रखे जाएंगे, जैसा कि लोक सेवा आयोग में होता है। इससे पूर्व उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में परीक्षा नियंत्रक का पद नहीं था, लेकिन दोनों भर्ती संस्थाओं को नए आयोग में समहित किए जाने के बाद शिक्षा सेवा चयन आयोग में परीक्षा नियंत्रक का पद सृजित किया गया है।


नियमों में संदेह तो आयोग का निर्णय अंतिम

नियमावली में किसी विषय पर नियमों में विशेष रूप से कोई व्यवस्था नहीं दी गई है तो उन प्रकरणों पर आयोग जैसा उचित समझे कार्यवाही कर सकता है। अगर नियमों की व्याख्या के बारे में कोई संदेह उत्पन्न होता है तो आयोग की ओर से की गई व्याख्या अंतिम होगी।

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