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Budget 2022: करदाताओं को मिला सिर्फ धन्यवाद और आभार, दो साल में कर सकेंगे भूल सुधार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट पेश किया। न तो आयकर स्लैब्स बदली गई है और न ही कोई बड़ी छूट दी गई है। हालांकि, करदाताओं को बड़ी राहत के तौर पर दो साल में अपने रिटर्न को अपडेट करने की अनुमति दी है। इसके अलावा राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी नेशनल पेंशन स्कीम में योगदान पर 14% टैक्स छूट देने का फैसला किया है। 



स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं
बजट में टैक्स स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है। व्यक्तिगत करदाताओं के लिए बुनियादी छूट की सीमा में आखिरी बार बदलाव 2014 में हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का पहला बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने करमुक्त आय की सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किया था। वरिष्ठ नागरिकों के लिए करमुक्त आय की सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख से 3 लाख रुपये किया गया था। तब से करमुक्त आय की सीमा नहीं बढ़ी है।  


करदाताओं के सामने मौजूद रहेंगे दो विकल्प
वित्त मंत्री सीतारमण ने 2020 में टैक्स जमा करने का नया विकल्प दिया था। इसमें उन लोगों के लिए टैक्स रेट्स को घटाया गया था, जो टैक्स में मिलने वाली छूट और राहत का लाभ नहीं उठाना चाहते। यह एक तरह से आयकर का सरलीकरण था। कमाई के हिसाब से टैक्स तय किया गया था। इसमें निवेश एवं अन्य आवश्यक खर्चों के तहत टैक्स में मिलने वाली छूट खत्म कर दी गई थी। इससे करदाताओं को दो विकल्प मिल गए। वे पुरानी व्यवस्था में रहकर छूट प्राप्त कर सकते हैं या नई व्यवस्था में बिना छूट के कर का भुगतान कर सकते हैं।

यह रहेंगी आयकर की स्लैब्स
दोनों ही विकल्पों में 2.5 लाख रुपये तक की आय करमुक्त है। 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की आय पर 5 प्रतिशत कर लगता है। हालांकि, आयकर अधिनियम की 87A के तहत 12,500 रुपये तक की छूट दी गई है। इसका मतलब है कि दोनों ही विकल्पों में 5 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं चुकाना पड़ता।
नए विकल्प में 5 से 7.5 लाख रुपये पर 10% और 7.5 लाख से 10 लाख रुपये की आय पर 15% टैक्स है, जबकि पुराने विकल्प में 5 से 10 लाख रुपये की आय पर 20% टैक्स लगता है।
पुराने विकल्प में 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% टैक्स लगता है। नई व्यवस्था में 10 से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20% और 12.5 लाख से 15 लाख रुपये पर 25% टैक्स है। 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% टैक्स लगता है। सेस और सरचार्ज की वजह से प्रभावी टैक्स रेट बढ़ जाता है।


रिटर्न अपडेट करने की अनुमति
बजट में जो बड़ी घोषणा की गई है, वह दो साल में रिटर्न को अपडेट करने की अनुमति है। अगर किसी करदाता ने अपनी सालाना आय की घोषणा में कोई गलती की है तो वह इसे दो साल में सुधार सकता है। इसके लिए उसे अपना रिटर्न अपडेट करना होगा। इससे मुकदमेबाजी कम होगी। रिटर्न अपडेट करते हुए उन्हें आवश्यक कर का भुगतान करना होगा। सीतारमण ने कहा कि इस समय डिपार्टमेंट को पता चलता है कि टैक्सपेयर ने कोई गलती की है तो मुकदमेबाजी की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस प्रस्ताव से टैक्सपेयर्स और विभाग में आपसी विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी। टैक्सपेयर ने अगर रिटर्न में कोई गलती की है तो वह खुद ही उसे सुधार सकेगा। 
 
कोऑपरेटिव्स के लिए अल्टरनेट मिनिमम टैक्स रेट और सरचार्च में कमी
इस समय कोऑपरेटिव सोसायटियों को 18%  और 1.5% अल्टरनेट मिनिमम टैक्स चुकाना होता है। हालांकि, कंपनियां इसका भुगतान 15% की दर से करती हैं। कोऑपेरटिव सोसायटियों और कंपनियों के एक-से नियम बनाने के लिए कोऑपरेटिव सोसायटियों के लिए टैक्स को घटाकर 15% किया गया है। एक से 10 करोड़ रुपये तक की सालाना आय वाली कोऑपरेटिव सोसायटियों पर लगने वाला सरचार्ज भी 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया गया है।


दिव्यांगों को टैक्स राहत
माता-पिता या अभिभावक दिव्यांगों के लिए बीमा योजना ले सकेंगे। मौजूदा कानून के तहत माता-पिता या अभिभावक की मौत पर मिलने वाली एकमुश्त राशि पर ही टैक्स छूट का प्रावधान है। ऐसी भी परिस्थिति बन सकती है कि दिव्यांग व्यक्ति को अपने माता-पिता या अभिभावक के जीवित होने पर भी एकमुश्त राशि मिले और उस पर कर से छूट की आवश्यकता पड़े। नए प्रावधान के अनुसार माता-पिता या अभिभावक के 60 साल के होने तक दिव्यांग को कर में राहत मिलेगी।


राज्य सरकार के कर्मचारियों को राहत
इस समय केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के वेतन का 14% अंशदान नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में करती है। कर्मचारी अपने आयकर रिटर्न में इसकी छूट ले सकते हैं। हालांकि, राज्य सरकारों के कर्मचारियों को सिर्फ 10% तक ही टैक्स छूट मिलती है। कर्मचारियों के बीच इस भेदभाव को दूर करते हुए राज्य सरकार के कर्मचारियों के एनपीएस अकाउंट में योगदान पर 14% टैक्स राहत की घोषणा की गई है।   

वर्चुअल संपत्ति पर 30% टैक्स
नए प्रस्ताव के तहत वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों (क्रिप्टो) पर 30% टैक्स लगेगा। इन संपत्तियों को खरीदने पर किए गए खर्च के अलावा कोई छूट नहीं मिलेगी। इन संपत्तियों के ट्रांसफर पर 1% टीडीएस भी लागू होगा। वर्चुअल करेंसी को गिफ्ट देने पर भी टैक्स चुकाना होगा।  

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