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विद्यालय के प्रधानाध्यापक और शिक्षक की करतूत से शिक्षा विभाग शर्मसार, कार्यवाही की मांग

 विद्यालय के प्रधानाध्यापक और शिक्षक की करतूत से शिक्षा विभाग शर्मसार, कार्यवाही की मांग

रामपुर. उत्तर प्रदेश सरकार परिषदीय स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाकर अपना और प्रदेश का नाम देश में चमकाने का प्रयास कर रही है, ताकि बच्चाें का भविष्य संवर सके। लेकिन, कुछ सरकारी स्कूल सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसी तरह का एक मामला रामपुर जिले में सामने आया है। जहां स्कूल प्रिंसिपल और शिक्षक की ऐसी करतूत सामने आई है, जिसने पूरे शिक्षा विभाग को कलंकित करने का काम किया है।




दरअसल, यह घटना रामपुर जिले के आखून खेलान स्थित प्राथमिक विद्यालय की है। जहां परिजन एक पांचवी कक्षा के एक छात्र की टीसी बनवाने पहुंचे थे। प्रिंसिपल और शिक्षक ने बच्चे की टीसी बनाकर तो दे दी, लेकिन उस पर जाति के स्थान जातिसूचक शब्द लिख दिए। टीसी पर जातिसूचक शब्द देख छात्र के परिजन भड़क गए और उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल से कहा कि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था। यह सुनते ही प्रिंसिपल भड़क गई और छात्र के परिजनों को अपमानित करते हुए स्कूल कैम्पस से बाहर निकाल दिया।

शिकायत करने पर फटकारते हुए भगाया

पीड़ितों ने बताया कि उनके बच्चे झूले वाली इमली मोहल्ले के सरकारी स्कूल से पांचवीं पास की है। छठी में दाखिला दिलाने के लिए उसकी टीसी की जरूरत थी। उन्होंने स्कूल में टीसी के लिए आवेदन किया था। इस पर स्कूल की प्रिंसिपल और शिक्षक ने आवेदन स्वीकार करते हुए टीसी बनाकर दे दी। जब उन्होंने देखा कि जाति वाले कॉलम में प्रिंसिपल और शिक्षक ने जातिसूचक शब्द लिख दिया है तो उनसे रहा नहीं गया। वह सीधे प्रिंसिपल के पास पहुंचे, लेकिन उन्होंने हमारी बात सुनने के बजाय फटकार कर भगा दिया।

डीएम ने प्रिंसिपल और शिक्षक को किया तलब

इसके बाद छात्र के चाचा ने अनुसूचित जनजाति आयोग उत्तर प्रदेश लखनऊ और रामपुर के जिलाधिकारी रविन्द्र सिंह मादड़ के यहां शिकायत की। पीड़ितों की शिकायत पर जिलाधिकारी ने प्रिंसिपल और शिक्षक को तलब किया है। बता दें कि अनुसूचित जाति के छात्र के साथ जो हुआ उसको लेकर पूरा शिक्षा विभाग शर्मसार हो रहा है। ऐसे में अब हर कोई चाहता है कि ऐसे टीचर और प्रिंसिपल के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई इस तरह का कार्य न करे।

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