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चंपक पर जम रही धूल, पुस्तकें छपवाकर अधिकारी गए भूल:दो माह पहले प्राइमरी स्कूलों में बंटने के लिए आई थीं पांच हजार से अधिक किताबें


प्रयागराज। प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सरकार ने चंपक नाम की पुस्तकें छपवाई थीं। लेकिन इनके वितरण के लिए शासन के स्तर से कोई आदेश न जारी किए जाने से दो महीने से यह पुस्तकें पर्यटन कार्यालय में धूल फांक रही हैं। इनकी कोई सुधि लेने वाला नहीं है।


दरअसल बच्चों को कार्टून के माध्यम से उत्तर प्रदेश के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से सरकार ने चंपक पुस्तकें छपवाई थीं। बेसिक शिक्षा अधिकारी के सुपुर्द की गई इन किताबों को पर्यटन विभाग के माध्यम से बेसिक विद्यालयों के बच्चों के बीच निःशुल्क बांटा जाना था। लगभग पांच हजार पुस्तकें पर्यटन विभाग भेजी गई थीं। दो माह पहले जब इन पुस्तकों को भेजा गया था तो सचिव की ओर से इन्हें बांटे जाने का आदेश था, लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से आदेश वापस ले लिया गया। इसके बाद से किताबें अब तक बंडल में पैक होकर कार्यालय में ही रखी हुई हैं।

पर्यटन विभाग इस बारे में कुछ भी बोलने से कतरा रहा है। विभाग के अधिकारियों को अब याद नहीं है कि किताबें कब कार्यालय में आई थीं और उन्हें कहां बांटा जाना था या फिर कितनी किताबें आई थीं। पुस्तकों के वितरण को लेकर विभाग शासन के आदेश का इंतजार कर रहा है.


कार्टून, कहानी के माध्यम से दी गई हैं जानकारियां

चंपक पुस्तक में कार्टून तथा कहानी के माध्यम से उत्तर प्रदेश के तीर्थस्थलों, जिलों व अन्य महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जानकारी दी गई है। सभी तथ्यों को रोचक ढंग से लिखा गया है ताकि बच्चे इन पुस्तकों के प्रति आकर्षित हो सकें।


पुस्तकों को लेकर शासन से अब तक कोई दिशा निर्देश नहीं प्राप्त हुआ है। इसलिए इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। जब आदेश प्राप्त होगा, तभी इसके बारे में कुछ बताया जा सकेगा। अपराजिता सिंह, क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी

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