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तैयारी शुरू : प्राइमरी स्कूलों के बच्चे भी पढ़ेंगे कुर्सी मेज पर


सरकारी जूनियर स्कूलों में फर्नीचर देने की योजना 2017-18 से चल रही है लेकिन अब भी पांच हजार स्कूल ऐसे हैं जहां फर्नीचर नहीं है। इन स्कूलों में फर्नीचर के लिए राज्य सरकार केन्द्र सरकार के सामने समग्र शिक्षा अभियान की वार्षिक कार्ययोजना में प्रस्ताव रखेगी। जूनियर स्कूलों में फर्नीचर केन्द्र सरकार के बजट से दिया जाता है।


लखनऊ । अगले दो सालों में सभी सरकारी प्राइमरी स्कूलों के बच्चे कुर्सी डेस्क पर पढ़ाई करेंगे। राज्य सरकार सभी सरकारी प्राइमरी स्कूलों में फर्नीचर देने जा रही है। भाजपा के संकल्प पत्र के इस संकल्प को पूरा करने में राज्य सरकार पर लगभग 900 करोड़ रुपए का भार आएगा।

प्रदेश में लगभग 74000 प्राइमरी स्कूलों को इससे फायदा होगा। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस संबंध में कार्ययोजना तैयार कर ली है।

इस योजना का लाभ लगभग 1.25 करोड़ बच्चों (कक्षा एक से पांच) को मिलेगा। विभाग जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने इसका प्रस्तुतिकरण करेगा और योजना को मंजूरी मिलने के दो सालों के अंदर सभी स्कूलों में फर्नीचर पहुंच जाएगा।

प्राइमरी स्कूलों में फर्नीचर राज्य सरकार अपने बजट से देगी जबकि जूनियर स्कूलों में केन्द्र सरकार समग्र शिक्षा अभियान के तहत देती है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत प्राइमरी स्कूलों में फर्नीचर देने का नियम नहीं है। प्रदेश में 88532 सरकारी प्राइमरी स्कूल हैं लेकिन लगभग 15 हजार स्कूल ऐसे हैं जहां फर्नीचर पहले से उपलब्ध है। ये फर्नीचर विभिन्न संसाधनों से जुटाए गए हैं। मसलन सोनभद्र के सभी प्राइमरी स्कूलों में जिला खनिज निधि से फर्नीचर पहुंचाया गया है तो श्रावस्ती के स्कूलों में सीएसआर (कारपोरेट रिसपांसबिलिटी) के तहत फर्नीचर मिला है। इसी तरह कई जिलों के लगभग 15 हजार स्कूल फर्नीचर से संतृप्त हो चुके हैं। अभी प्राइमरी स्कूल के बच्चे दरी पर बैठते हैं।


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