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आयु के लिए हाईस्कूल प्रमाणपत्र ही मान्य: कोर्ट-primary ka master

 आयु के लिए हाईस्कूल प्रमाणपत्र ही मान्य: कोर्ट-primary ka master

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि आयु निर्धारण के लिए यदि फर्जी न हो तो हाईस्कूल का प्रमाणपत्र ही मान्य है। हाईस्कूल प्रमाणपत्र पर अविश्वास कर मेडिकल जांच रिपोर्ट पर आयु निर्धारण करना गलत और मनमाना है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड कानपुर नगर और अधीनस्थ अदालत द्वारा हाईस्कूल प्रमाणपत्र की अनदेखी कर आपराधिक घटना के समय याची को बालिग ठहराने के आदेशों को रद कर दिया है। साथ प्रमाणपत्र के आधार पर उसे घटना के समय नाबालिग घोषित किया है।


न्यायमूíत पंकज भाटिया व मेहराज शर्मा की पीठ ने कहा है कि किशोर न्याय बोर्ड ने 2007 की किशोर न्याय नियमावली की प्रक्रिया का पालन नहीं किया और मनमानी की। याची व सह अभियुक्तों के खिलाफ हत्या व अपहरण के आरोप में चार्जशीट दाखिल है। याची ने अधीनस्थ कोर्ट में अर्जी दी कि उसे नाबालिग घोषित किया जाए। अधीनस्थ कोर्ट ने कहा कि यह अधिकार किशोर न्याय बोर्ड को है। बोर्ड ने हाईस्कूल प्रमाणपत्र को अविश्वसनीय माना और मेडिकल जांच रिपोर्ट के आधार पर याची की जन्मतिथि 21 अप्रैल 1996 के बजाय 21 अप्रैल 1997 माना।

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