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परिषदीय स्कूलों की महिलाएं कर रही ड्यूटी, शिक्षक नेताओं की मौज

 परिषदीय स्कूलों की महिलाएं कर रही ड्यूटी, शिक्षक नेताओं की मौज

परिषदीय स्कूल की महिला शिक्षक व शिक्षामित्रों को चुनाव ड्यूटी में किसी तरह की रियायत नहीं दी गई जबकि शिक्षक नेताओं की ड्यूटी ही नहीं लगाई गई। पीठासीन, प्रथम व द्वितीय के रूप में महिला शिक्षक व


शिक्षामित्रों को लगाया गया है। निजी मुश्किलों को लेकर आवेदन करने पर अधिकारी उनकी सुन नहीं रहे। दूसरी तरफ ड्यूटी से बचे शिक्षक नेता मौज करते दिख रहे हैं। करीब 250 ऐसे लोग अभी हैं।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कार्मिक के रूप में परिषदीय स्कूल के शिक्षक व शिक्षामित्रों को लगाया गया। ड्यूटी लगने से पहले खंड शिक्षा अधिकारियों के जरिए ब्लॉकवार सभी स्कूल के शिक्षकों का डाटा फीडिंग कराया गया। बताया जाता है कि शिक्षक नेताओं ने खंड शिक्षा अधिकारियों के जरिए डाटा फीडिंग में खेल करते हुए अपना नाम बाहर करवा लिया। अलग-अलग शिक्षक संगठनों के करीब 400 नेता और उनके करीबियों को चुनाव ड्यूटी से खंड शिक्षा अधिकारियों ने अलग कर दिया। ब्लॉकवार डाटा फीडिंग में की गई गड़बड़ी की आड़ में शिक्षक नेताओं की मौज हो गई। सात अप्रैल से पहले स्कूलों में कार्मिकों की ड्यूटी प्रशिक्षण के लिए भेजी गई तो उसमें शिक्षक नेताओं के नाम नहीं थे। दूसरी तरफ महिला शिक्षक व शिक्षामित्रों की ड्यूटी चुनाव में लगी है। इनमें से बहुत सी महिला शिक्षक व शिक्षामित्र हैं। जिनके साथ मुश्किलें हैं। परिजन बीमार हैं या फिर छोटा बच्चा है लेकिन इसके बावजूद उन्हें चुनाव ड्यूटी से छुट्टी नहीं दी गई। महिला शिक्षकों में नीलम सिंह, गीता, प्रियंका, कनक, माधुरी, आरती, मुमताज, परवीन आदि का कहना है कि शिक्षक नेताओं ने अपनी ड्यूटी तो कटवा ली है लेकिन महिलाओं पर उन्हें दया नहीं आई।


शिकंजा कसा तो 180 की लगी ड्यूटी

शिक्षक नेताओं की ड्यूटी की शिकायत अधिकारियों तक पहुंची तो विभागीय जिम्मेदार अपनी गर्दन बचाने के लिए दिखावा कार्रवाई शुरू की। शिक्षक नेताओं के 180 करीबियों की ड्यूटी लगाकर बाकी को अब भी बचा लिया है। बताया जाता है कि अब भी शिक्षक नेताओं की ड्यूटी नहीं लगाई गई है। सवाल यह उठता है कि आखिर शिक्षक नेताओं पर अधिकारियों की मेहरबानी क्यों है।


सभी खंड शिक्षा अधिकारियों से शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने के संबंध कि उनके ब्लॉक के सभी स्कूल के शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। इस रिपोर्ट के मिलने के बाद अगर कोई वंचित रह जाता है तो संबंधित के खिलाफ जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-अशोक कुमार सिंह, बीएसए

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