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शिक्षकों ने विसंगति खत्म कर मांगी वरिष्ठता

 शिक्षकों ने विसंगति खत्म कर मांगी वरिष्ठता

प्रयागराज : एक ही विज्ञापन और चयन समिति के बावजूद विनियमितीकरण में विसंगति के कारण वरिष्ठता में पर्वतीय संवर्ग से पिछड़ गए मैदानी संवर्ग के जीआइसी शिक्षकों के समर्थन में शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी ने पहल की है। उन्होंने विनियमितीकरण की तिथि संशोधित कर प्रथम नियुक्ति से वरिष्ठता प्रदान करने के लिए अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिखा है, ताकि सभी को पदलाभ मिल सके। पर्वतीय और मैदानी संवर्ग के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों (जीआइसी) में तदर्थ शिक्षकों की नियुक्तियां वर्ष 1990, 91, 92 में की गई थी।

सरकार ने एक अक्टूबर 1990 से पूर्व पर्वतीय संवर्ग में नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को विनियमित कर नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता प्रदान कर दी। बाद में इसमें से अधिकांश शिक्षक मैदानी संवर्ग में स्थानांतरित होकर आ गए और वरिष्ठता के चलते प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नत हो गए। इधर, मैदानी संवर्ग के तदर्थ शिक्षकों के लिए 17 अगस्त 2001 को सरकार ने राजाज्ञा जारी की। इसके मुताबिक सभी तदर्थ शिक्षक, चाहे वह 1991, 92, 93 में नियुक्त हों, को 17 अगस्त 2001 से विनियमित माना गया। इस तरह मैदानी संवर्ग के तदर्थ शिक्षक वरिष्ठता के मामले में पर्वतीय संवर्ग से आठ से दस साल तक जूनियर हो गए। मामले में राजकीय शिक्षक संघ पाण्डेय गुट के प्रांतीय महामंत्री रामेश्वर प्रसाद पाण्डेय बताते हैं कि मैदानी संवर्ग के तदर्थ शिक्षकों के साथ और भी भेदभाव किया गया।

शिक्षक विधायक ने मैदानी संवर्ग के समर्थन में शासन को लिखा पत्र 
विसंगति से पर्वतीय की तुलना में मैदानी जीआइसी के शिक्षक घाटे में

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