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’आधारभूत ढांचे में नई शिक्षा नीति से पहले हो बदलाव’

 ’आधारभूत ढांचे में नई शिक्षा नीति से पहले हो बदलाव’

लखनऊ : आगामी सत्र से नई शिक्षा नीति के तहत समान पाठ्यक्रम लागू करने के निर्देश के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने इसे लागू करने से पहले प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों के आधारभूत ढांचे को दुरुस्त करने की मांग की है। संघ ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को ज्ञापन भेजा है।


संघ का कहना है कि प्रदेशभर में छात्रों की भारी संख्या के लिए कौशल विकास के कोर्स तथा इंडस्टियल ट्रेनिंग के लिए पर्याप्त संस्थानों में व्यवस्था अभी तक विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों द्वारा नहीं की गई है। ऐसे में यदि आधी-अधूरी तैयारी के साथ जल्दबाजी में आगामी सत्र से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरे प्रदेश में लागू किया गया तो विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। लविवि शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा.विनीत कुमार वर्मा ने बताया कि 20 अप्रैल को सरकार ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों को आगामी सत्र 2021-2022 से स्नातक स्तर पर राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए गए पाठ्यक्रम का न्यूनतम 70 फीसद राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रविधानों के साथ लागू किए जाने के निर्देश दिए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति विद्यार्थियों को अधिकाधिक संख्या में पाठ्यक्रम उपलब्ध करवाने पर जोर देती है, जबकि कॉमन मिनिमम सिलेबस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विपरीत छात्रों के लिए पाठ्यक्रमों की उपलब्धता को सीमित कर देगा।

साइंस फैकल्टी में न्यूनतम समान पाठ्यक्रम पास नहीं

लविवि में स्नातक (विज्ञान संकाय) स्तर पर कामन मिनिमम सिलेबस (न्यूनतम समान पाठ्यक्रम) को लागू करने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। शनिवार को विज्ञान संकाय परिषद की हुई ऑनलाइन बैठक में शामिल कईम विभागों के सिलेबस में कमी पाई गई। फिर से संबंधित विभागों से इस पर सुझाव मांगे गए हैं। डीन साइंस प्रो. तृप्ता त्रिवेदी ने बताया कि कई विभागों ने जो पाठ्यक्रम तैयार किए हैं, वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मानक को पूरा नहीं कर रहे। कुछ विषयों में अधिक बदलाव भी होने हैं। इसलिए बैठक में न्यूनतम समान पाठ्यक्रम को अनुमोदित नहीं किया गया है।

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