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शिक्षक नेताओं पर मेहरबान अब बीईओ पर गिरेगी गाज, इयूटी से मुक्त करने के लिए सूची में नहीं भेजे शिक्षक नेताओं के नाम

 शिक्षक नेताओं पर मेहरबान अब बीईओ पर गिरेगी गाज, इयूटी से मुक्त करने के लिए सूची में नहीं भेजे शिक्षक नेताओं के नाम

प्रतापगढ़। शिक्षक नेताओं को चुनाव ड्यूटी से मुक्त करने वाले खंड शिक्षा अधिकारियों पर अफसरों की गाज गिर सकती है। डीएम की नाराजगी देखकर बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों से इस आशय का प्रमाणपत्र तलब किया है कि सूची से किसी शिक्षक का नाम नहीं छूटा है।

बेसिक शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारियों ने शिक्षक नेताओं का नाम सूची में भेजा ही नहीं। इससे उनकी ड्यूटी न तो चुनाव में लगी है और न ही प्रशिक्षण में कोई सहयोग कर रहे हैं। शिक्षकों के माध्यम से जब यह बात बीएसए तक पहुंची, तो उन्होंने बीईओ पर शिकंजा कसना प्रारंभ कर दिया।

बीएसए की जांच में खुलासा हुआ कि अधिकांश शिक्षक नेताओं की ड्यूटी ही नहीं लगी है । दरअसल, ब्लाकों में तैनाती तो बीईओ की हुई है, मगर वेतन बिल तैयार करने से लेकर लिखापढ़ी का पूरा काम शिक्षक नेता ही करते हैं । ऐसे में उन्होंने शिक्षक नेताओं की नाम ही सूची में नहीं भेजा, जिससे चुनाव में उनकी ड्यूटी ही नहीं लगी है।


यह संख्या एक या दो नहीं है। बल्कि जिले के 17 विकास खंडों से सैकड़ों ऐसे शिक्षक हैं, जिनकी ड्यूटी नहीं लगी है। मामला डीएम तक पहुंचने पर बीएसए ने पहले छूटे हुए शिक्षकों की सूची मांगी और अब बीईओ से प्रमाणपत्र ले रहे हैं कि किसी भी शिक्षक का नाम सूची से छूटा नहीं है।

बीएसए के इस आदेश के बाद बीईओ शिक्षक नेताओं के पत्नी और बच्चों की बीमारी की दलील देकर उनकी मद्द कर रहे हैं। इधर बीएसए अशोक कुमार सिंह ने बताया कि जिन लोगों ने सूची से नाम हटाया है , उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।



साफ्टवेयर की कमी से छूट गए लोग
बेसिक शिक्षा विभाग ही नहीं, अधिकांश विभागों के कुछ कर्मचारियों की ड्यूटी ही नहीं लगी है। यह गड़बड़ी साफ्टवेयर से ही हुई है। आलम यह है कि हर विभाग से दो -चार लोगों का कंप्यूटर ने नाम ही नहीं उठाया। इससे उनकी ड्यूटी ही नहीं लगी है। अधिकारियों ने एक बार भी उलट कर नहीं देखा कि किसकी ड्यूटी लगी है और किसकी नहीं है।

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