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कोरोना काल में विद्यालय में किताबें पहुंचाने के बजाय अधिकारी शिक्षकों को बुलाकर किताबें ले जाने का दे रहे निर्देश

कोरोना काल में विद्यालय में किताबें पहुंचाने के बजाय अधिकारी शिक्षकों को बुलाकर किताबें ले जाने का दे रहे निर्देश

लखनऊ। कोरोना काल में विभाग ने स्कूल खोलने और अनिवार्य रूप से शिक्षकों को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है ताकि विभागीय कार्य कर सकें, लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते न केवल विभागीय कार्य में बाधा उत्पन्न कर रही है बल्कि शिक्षकों पर कोरोना से संक्रमित होने का भी खतरा मंडरा रहा है। 


परिषदीय स्कूलों में किताबें भेजने के जो शिक्षकों को ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर बुलाकर किताबें स्कूल ले जाने का निर्देश दिया जा रहा है। इससे शिक्षकों में काफी आक्रोश है। हालत यह है कि किताबों के वितरण  से पहले शिक्षकों को उन्हें लेने के लिए दौड़ लगाने पड़ रही है। कोरोना संक्रमण ने पूर्व से अपनाई जा रही सारी व्यवस्था बदल कर रख दिया है। परिषदीय स्कूल खुले नहीं है, लेकिन कक्षा एक से कक्षा आठ तक के बच्चों को निशुल्क किताबें व यूनिफार्म बांटी जानी है। 



विभाग ने कार्य निपटाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग आदि का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। वर्तमान में बच्चों को किताबें वितरित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। शासन के आदेश के अनुसार इस बार विद्यालय के कक्षा में छात्रों को उनके हाथ में किताब नहीं दी जाएंगी। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार विद्यालय में छोटे-छोटे समूह में अभिभावकों को बुलाकर उनके हाथ में किताबें देने का निर्देश दिया गया है।



अधिकारियों की हठधर्मिता शिक्षकों पर भारी 
नियम के अनुसार परिषदीय विद्यालयों में खंड शिक्षा अधिकारियों को किताबें पहुंचानी चाहिए ताकि शिक्षक विद्यालय में अभिभावकों को किताबें वितरित कर सकें, लेकिन शिक्षकों को ब्लॉक संसाधन केंद्र पर बुलाया जा रहा है और वहां से किताबें उठाकर विद्यालय में ले जाने का दबाव बनाया जा रहा है।  कई विद्यालय केंद्र से 20 से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। शिक्षकों के अनुसार उन्हें अपने साधन से केंद्र पर पहुंचना पड़ता है।


 प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि शासनादेश के अनुसार खंड शिक्षा अधिकारियों को ब्लॉक संसाधन केंद्र से विद्यालयों तक किताबें पहुंचाने का निर्देश है। इसके लिए फंड विभाग खर्च करता है, लेकिन शिक्षकों को उल्टा केंद्र पर बुलाकर उन्हें विद्यालय की किताबें ले जाने का दबाव बनाया जा रहा है। में भ्रष्टाचार नजर आ रहा है।

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