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हम नहीं चाहते किसी बच्चे पर कोरोना डिग्री का ठप्पा लगे: निशंक

हम नहीं चाहते किसी बच्चे पर कोरोना डिग्री का ठप्पा लगे: निशंक

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यूजीसी द्वारा फाइनल ईयर की परीक्षा कराने का निर्णय अचानक नहीं लिया गया है। इसके लिए टास्क फोर्स बनाई गई थी। गहन मंथन के बाद यह तय किया गया कि फर्स्ट और सेकेंड ईयर के मार्क्स आंतरिक मूल्यांकन और पिछली परीक्षाओं से हो सकते हैं लेकिन फाइनल ईयर की परीक्षाएं तो आयोजित होंगी। 'जीतेगा हिन्दुस्तान' कार्यक्रम सीरीज में हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर के साथ खास बातचीत में रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि फाइनल ईयर की परीक्षा आयोजित किए बिना डिग्री देने से उस डिग्री पर कोरोना डिग्री का ठप्पा लग जाएगा। 

डॉ. निशंक ने कहा कि नौकरी के लिए इंटरव्यू के समय कोरोना डिग्री वालों को अलग से छांट लिया जाएगा कि कहीं ये कोरोना काल का तो नहीं है। इससे उन्हें भविष्य में नौकरी मिलने में दिक्कत होगी। उनकी काबिलियत को कम करके आंका जाएगा। 

उन्होंने कहा कि यूजीसी के फैसले का शिक्षाविदों और कुलपतियों ने स्वागत किया है। कौन कहेगा बिना परीक्षा कराए डिग्री दे दी जाए। बच्चे हमारा भविष्य है। हम कोई ऐसा काम नहीं करना चाहते जिससे आज की दिक्कत उसे भविष्य में झेलनी पड़े। 

आपको बता दें कि यूजीसी ने कुछ दिनों पहले रिवाइज्ड गाइडलाइंस जारी कर कहा था कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं अनिवार्य हैं। सितंबर के अंत तक सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं करानी हैं। इस पर कई राज्यों ने विरोध दर्ज कराया है।

ऑनलाइन शिक्षा पर बोले निशंक- 30-40 फीसदी छात्रों तक अभी पहुंच बाकी

ऑनलाइन शिक्षा के प्रसार को लेकर उन्होंने कहा कि मेरी राज्यों से बातचीत होती है। वहां के शिक्षा मंत्रियों से बात होती है। इससे पता चलता है कि राज्यों ने बहुत अच्छे से काम किया है। अभी करीब 40 फीसदी तक ऑनलाइन शिक्षा की छात्रों तक पहुंच होनी है। इसके लिए हम राज्यों के साथ काम कर रहे हैं। अंतिम छोर वाले बच्चे के लिए काम कर रहे हैं। अभी व्हाट्सऐप, अध्यापक अन्य तरीकों से भी उन बच्चों तक पहुंच के लिए काम कर रहे हैं। 

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