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विभागीय मेहरबानी से फर्जी अध्यापकों को मिला अभय दान

विडंबना

माध्यमिक स्कूलों के 15 फर्जी अध्यापकों में सिर्फ दो पर दर्ज हुआ मुकदमा, बाकी हवा हवाई

फर्जी अभिलेखों के सहारे नौकरी करते माध्यमिक शिक्षा विभाग के अध्यापकों में मची खलबली




बलरामपुर। 
बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों के फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई अभी चल ही रही है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग भी इसके पीछे नहीं है। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में अशासकीय सहायता प्राप्त नौ इंटर कॉलेजों में 15 शिक्षकों के फर्जी अभिलेख मिलने पर सेवा समाप्त कर दी गई, लेकिन नियुक्ति के दौरान अभिलेख सत्यापन कराने में विभागीय शिथिलता फर्जी शिक्षकों को वेतन लेने का रास्ता साफ कर रखा है। जिसका खामियाजा बिना सत्यापन के ही 15 अध्यापक फर्जी तरीके से नियुक्ति लेकर शिक्षण कार्य करते हुए प्रत्येक माह वेतन उठाते रहे। शासन की नजर में फर्जी अभिलेख के सहारे नौकरी करते अध्यापक नजर में आते ही माध्यमिक शिक्षा विभाग में खलबली मच गई। आनन-फानन में विभागीय अधिकारी एवं बाबूओं ने फर्जी अध्यापकों की सेवा समाप्त कर मुकदमा लिखने के लिए संबंधित विद्यालय के प्रधानाचार्य पर थोफ दिया। अब सवाल यह उठता है कि जब आयोग का पत्र लेकर स्कूलों में नौकरी करने के लिए फर्जी अध्यापक आए तो संबंधित विभाग अथवा स्कूलों के प्रिंसिपल ने उनके कार्यभार ग्रहण कराने के साथ वेतन निर्गत करने के पूर्व अभिलेखों का सत्यापन क्यों नहीं कराया यह एक यक्ष बड़ा प्रश्न है।


मैनुअल सत्यापन कराना बना गंभीर विषय

जिले के सहायता प्राप्त माध्यमिक इंटर कॉलेजों में वित्तीय वर्ष 2020-21 में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर शिक्षकों का समायोजन किया गया समायोजन का दावा करने वाले अभ्यर्थियों के शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन तो कराया गया, लेकिन स्कूलों में रिक्त शिक्षक के पद एवं सूची में शामिल अभ्यर्थियों के विषयों का ऑनलाइन सत्यापन नहीं किया गया। मैनुअल सत्यापन कराकर कोरम पूरा करते हुए स्कूलों के प्रबंधकों को संबंधित अध्यापकों को कार्यभार ग्रहण कराने का फरमान जारी कर दिया गया। कार्यभार ग्रहण करने के बाद विभागीय मेहरबानी से फर्जी अध्यापकों को वेतन भुगतान शुरू हो गया। दो साल तक खेल चलने के बाद मामला शासन के संज्ञान में आते ही जिले जिले के शिक्षाधिकारी व कर्मियों में हड़कंप मच गया है। आनन-फानन में जिला विद्यालय निरीक्षक ने संबंधित फर्जी अध्यापकों की सेवा समाप्त एवं एफआईआर कराने का आदेश स्कूलों के प्रधानाचार्य को दिया जाना चर्चा का विषय है। संबंधित फर्जी अध्यापकों पर ऑनलाइन सत्यापन पहले क्यों नहीं कराया गया, यह एक प्रश्न है।


मुकदमा दर्ज कराने का फरमान हवा हवाई, नोटिस देकर कोरम किया पूरा

जिले के नौ सहायता प्राप्त माध्यमिक इंटर कॉलेजों में 15 फर्जी अध्यापक समायोजन के आधार पर नौकरी करते पकड़े गए। इन अध्यापकों के विरुद्ध शासन से सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। माध्यमिक शिक्षा महकमा के अधिकारी ने संबंधित स्कूलों के प्रधानाचार्य को तत्काल एफआईआर दर्ज कराकर सेवा समाप्ति का निर्देश दिया गया। इनमें बसंत लाल इंटर कॉलेज में पकड़े गए दो फर्जी अध्यापक पर मुकदमा दर्ज हो चुका है। वहीं राम शंकर भारती इंटर कॉलेज मथुरा बाजार के मनोज कुमार सिंह, प्रेमलता, लोकमान्य तिलक इंटर कॉलेज पचपेड़वा के सांगा तोमर, स्वतंत्र भारत इंटर कॉलेज तुलसीपुर के मीतेश यादव, बाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज रेहरा बाजार के धर्मेंद्र मिश्रा, बीपीएस इंटर कॉलेज रेहरा बाजार की कल्पना मौर्य, मोहन लाल रामलाल इंटर कॉलेज शिवपुरा के संतोष चंद्र, राजकुमार दुबे, भारतीय इंटर कॉलेज उतरौला की शिल्पी केसरी, प्रियंका मिश्रा, जितेंद्र कुमार कुशवाहा, एमपीपी इंटर कॉलेज के मुकेश पांडेय, हरिशंकर प्रसाद व डीएवी इंटर कॉलेज के भूपेंद्र यादव एवं विकास चंद्र मिश्रा आदि पर अभी तक मुकदमा दर्ज न होने की बात कही जा रही है। इस पर विभाग ने फरमान जारी कर संबंधित स्कूलों के प्रधानाचार्य को एफआईआर करने का निर्देश दिया है, लेकिन प्रधानाचार्य की ओर से नोटिस देकर कोरम पूरा करने की बात कही जा रही है।


कोट

जिले के नौ इंटर कॉलेजों में फर्जी अभिलेखों के सहारे नौकरी करने वाले 15 अध्यापकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश संबंधित स्कूलों के प्रधानाचार्य को दिया गया है। इसके साथ-साथ नियुक्ति तिथि से अब तक किए गए वेतन भुगतान की रिकवरी भी कराने की पहल की गई है। एफआईआर दर्ज न होने के संबंध में स्कूलों से रिपोर्ट मांगी गई है। कोई भी फर्जी अध्यापक किसी भी सूरत में बख्शे नहीं जाएंगे।

गोविंद राम, डीआईओएस बलरामपुर

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