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अभावों में पले, हौसले से शिखर तक पहुंचे दिव्यांग:- वीडीओ, नवोदय शिक्षक और आयकर विभाग में मिली नौकरी

 दिव्यांगता भले ही लाखों लोगों को निराश करती हो, लेकिन कुछ ऐसे भी दिव्यांग हैं जो बताते हैं कि उड़ान हौसलों से होती है। इसकी नजीर पेश करते हैं दिव्यांगजन कल्याण विभाग के छात्रावास में रहने वाले। अभावों में पले और बढ़े इन दिव्यांगों ने अपनी मेहनत से सरकारी नौकरी हासिल की।


दिन-रात मेहनत से मिला मुकाम : दिव्यांगजन कल्याण विभाग का छात्रावास स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के ठीक सामने है। यहां पर शारीरिक दिव्यांग ही रहते हैं। यहां इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद कमरा दिया जाता है। आर्थिक रूप से कमजोर इन अंत:वासियों को 100 रुपये प्रतिमाह की दर से कक्ष उपलब्ध कराया जाता है। जिसमें 50 रुपये कमरे का किराया और 50 रुपये बिजली का बिल होता है। बेहद अभावों में पलने वाले यहां के छात्र दिन रात मेहतन करते हैं।

इन्हें मिली सरकारी नौकरी : यहां रहकर तैयारी करने वाले उमेश कुमार का चयन पिछले वर्ष मार्केटिंग इंस्पेक्टर पद पर हुआ। आजमगढ़ के जर्नादन मिश्र समाज कल्याण विभाग में ग्राम विकास अधिकारी चयनित हुए।

मिर्जापुर के छोटे लाल का चयन दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड में अध्यापक पद पर, मो. जज्जू का पीजीटी के तहत नवोदय विद्यालय में लेक्चरर, प्रदीप कुमार का चयन लोक सेवा आयोग की एआरओ परीक्षा उत्तीर्ण कर हुआ, सुरेश यादव पिछले साल सहायक अध्यापक, कौशाम्बी के धर्मेंद्र कुमार का चयन जीआईसी कौशाम्बी में अध्यापक पद पर, प्रयागराज के कमलेश यादव इनकम ट्रैक्स मुम्बई में इंस्पेक्टर पद पर 2021 में चयनित हुए।

गाजीपुर के मनोज सिंह मध्य प्रदेश में सहायक अध्यापक, जौनपुर के बृजेश कुमार, प्रतापगढ़ के तौहिद अहमद, मेरठ के प्रदीप कुमार, गाजीपुर के रमेश कुमार, बांदा के अमित कुमार सहायक अध्यापक व आजमगढ़ के मोती लाल का चयन दिल्ली में सहायक अध्यापक पद पर हुआ है।

छात्रावास में छात्रों को सुविधाएं दी जाती हैं। कमरे का किराया 100 रुपये है। इसमें रहना और बिजली खर्च दोनों शामिल हैं। ये छात्र आगे बढ़ रहे हैं, इसके लिए इन्हें बधाई दी जाती है। -नंदकिशोर याज्ञिक, जिला दिव्यांगजन कल्याण अधिकारी।

● दिव्यांगजन हॉस्टल में के 15 छात्र सरकारी नौकरी के लिए चयनित

● दिव्यांग कल्याण विभाग के हास्टल में रहकर सभी ने की तैयारी

घर की हालत ठीक नहीं थी मगर जज्बा था

मोती लाल का कहना है कि जब उनका चयन छात्रावास में हुआ तो बहुत खुशी हुई। घर की हालत ठीक नहीं थी। कुछ करने का जज्बा था। मेहनत की और फिर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में चयन हुआ। यह प्रयागराज में तैयारी का असर है। छात्रावास के बाहर भी जो छात्र मिलते वो हमेशा मदद करते थे। वहीं मुम्बई इनकम ट्रैक्स में चयनित कमलेश कुमार ने कहा कि यहां हमेशा ही सहयोग मिला। घर की दशा ऐसी नहीं थी कि महंगा कमरा किराए पर ले सकते, लेकिन इसी समय यहां छात्रावास मिला और कम पैसे में रहकर तैयारी की।

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