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प्रदेश में प्री-प्राइमरी कक्षाओं को विनियमित करने की तैयारी शुरू, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शिक्षक की भूमिका में आएंगी नजर

प्रदेश में प्री-प्राइमरी कक्षाओं को विनियमित करने की तैयारी शुरू, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शिक्षक की भूमिका में आएंगी नजर

प्री-प्राइमरी कक्षाओं को विनियमित करने की तैयारी शुरू, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शिक्षक की भूमिका में आएंगी नजर
नई शिक्षा नीति के तहत प्री-प्राइमरी कक्षाओं को विनियमित करने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके तहत तीन से छह साल के बच्चों को प्री-प्राइमरी कक्षाओं में शुरुआती पढ़ाई कराई जाएगी। यह अवसर स्कूलों के साथ आंगनबाड़ियों में भी प्रदान किए जाएंगे। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को प्री-प्राइमरी शिक्षक की भूमिका निभानी होगी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की शैक्षिक योग्यता के निर्धारण पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू करदी है। ए

नसीटीई की 29 सितंबर को हुई बैठक में जिसके मिनट्स पिछले सप्ताह मंजूर हुए हैं, उसमें इस विषय पर चर्चा हुई ।

एनसीटीई को यह जिम्मा सौंपा गया है कि वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए न्यूनतमशैक्षिक योग्यता का निर्धारण करे तथा प्री-प्राइमरी बच्चों की जरूरत के अनुसार एक प्रशिक्षण कोर्स तैयार करे जिसका प्रशिक्षण आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिया जाएगा। आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की देखभाल होती है। उनके पोषण आदि पर ध्यान दिया जाता है। इसी में उन्हें आवश्यक देखभाल के साथ-साथ आरंभिक शिक्षा प्रदान करने की भी योजना है। चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी का अच्छा नेटवर्क है इसलिए इनका बेहतर इस्तेमाल इस कार्य के लिए किया जाएगा। बता दें कि देश में 13.77 लाख आंगनबाड़ी केंद्र कार्य कर रहे हैं। एनसीटीई की बैठक में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए शैक्षिक योग्यता को लेकर चर्चा हुई और यह निर्णय लिया गया कि सभी सदस्य इस बार में और फीडबैक देंगे, ताकि इस पर विस्तृत नियमावली तैयार की जा सके। माना जा रहा है कि अगली बैठकों में इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। अभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता पांचवीं पास है।

अभी कक्षाएं विनियमित नहीं
अभी प्री प्राइमरी कक्षाएं शहरी स्कूलों में ही संचालित होती हैं, लेकिन वह किसी नियम के तहत विनियमित नहीं हैं। नई शिक्षा नीति में उन्हें विनियमित करने की बात कही गई है। इसलिए यह भी हो सकता है कि भविष्य में उन्हें शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे में लाया जाए। अभी यह काननू छह से 14 साल के बच्चों पर लागू होता है, लेकिन नई नीति में प्री-प्रामइरी को भी स्कूल शिक्षा का हिस्सा बनाने का ऐलान किया है।

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