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निकाय चुनाव : पति-पत्नी की दावेदारी फंसी तो घर के नौकरों पर लगाएंगे दांव


आरक्षण की वजह से करीब 25 वार्डों में मौजूदों पार्षदों के चुनाव लड़ने के सारे समीकरण फेल हो गये हैं। इन वार्डों में पार्षद न तो खुद चुनाव लड़ पाएंगे और न ही उनकी पत्नियां। परिवार का कोई और सदस्य भी चुनाव में नामांकन नहीं कर पाएगा। ऐसे में अब इन वार्डों के पार्षदों ने अपना दबदबा कायम रखने के लिए घर के नौकरों पर दांव लगाने की तैयारी की है। इसके लिए यह नेता नौकरों मजदूरों को राजी करने में लग गये हैं।



राजधानी में काफी पार्षद इस बार खुद आरक्षण की वजह से चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं। लेकिन अपनी राजनीति चमकाने के लिए अपने लोगों को ही पार्षद चुनाव जिताने की जुगत में लग गए हैं। इसके यह पार्षद अपने करीबियों को चुनाव में उतारने के लिए ताना बना बुन रहे हैं। महानगर वार्ड पहले अनारक्षित था। लेकिन अब पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हो गया है।

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया वार्ड ऐसे में यहां के पार्षद को अब पिछड़े वर्ग के किसी परिचित को चुनाव में उतारना होगा। इसके प्रयास में लग गये हैं। बाबू कुंज बिहारी ओम नगर वार्ड पहले अनारक्षित था। लेकिन इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया है। इससे इस वार्ड के पार्षद व उनकी पत्नी चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। घर का कोई सदस्य भी नहीं लड़ सकेगा। इन्हें अनुसूचित जाति के किसी साथी को उतारना होगा।

● पिछड़े वर्ग के किसी परिचित को चुनाव में उतारने की तैयारी में लगे पार्षद।


अधिकारियों को दो दिन में दर्ज करानी होगी उपस्थिति
लखनऊ। नगरीय निकाय चुनाव में तैनात अधिकारियों को दो दिन में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। डीएम सूर्य पाल गंगवार ने इस संबंध में निर्देश दिए हैं। डीएम ने कलेक्ट्रेट में निर्वाचन अधिकारियों, सहायक निर्वाचन अधिकारियों के साथ बैठक में निर्देश दिया। दो दिन में आमद दर्ज नहीं कराई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बैठक में कृषि, समाज कल्याण, वाणिज्यकर, वन, सिंचाई विभाग समेत कई विभाग के अधिकारी गैर हाजिर रहे। डीएम ने दो दिन में उपस्थिति दर्ज न करवाने वालों के खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व एक्ट में केस दर्ज कराने का निर्देश दिया।

पहले भी नौकरों को चुनाव जिताकर पार्षदी कर चुके हैं नेता
इन्दिरानगर अयोध्या रोड के एक वार्ड के पार्षद वर्ष 2017 का चुनाव इसलिए नहीं लड़ पाए थे क्योंकि उनकी सीट आरक्षित हो गयी थी। आरक्षित होने की वजह से वह व उनकी पत्नी दोनों चुनाव रेस से बाहर हो गये थे। पार्षद ने पांच साल अच्छा काम किया था। ऐसे अपनी दुकान में काम करने वाले नौकर को उन्होंने चुनाव मैदान में उतार दिया। वह पार्षद का चुनाव भी जीत गया। लेकिन उसने कभी अपने आपको पार्षद नहीं माना। वह नगर निगम जाते ही नहीं थे। पार्षद की हैसियत में पूर्व पार्षद ही अधिकारियों से मिलते रहे। अपने वार्ड की समस्याएं बताते रहे।

इन वार्डों में फंसा मामला

कुंवर ज्यादा प्रसाद वार्ड, डालीगंज निरालानगर, सहादतगंज, गुरुनानक नगर, न्यू हैदरगंज तृतीय, शारदानगर प्रथम, सरोजनीनगर द्वितीय, फैजुल्लागंज चतुर्थ, शहीद भगत सिंह प्रथम, सरोजनीनगर प्रथम, अम्बेडकर नगर, राजा बिजली पासी द्वितीय, इब्राहिम पुरम प्रथम, इब्राहिमपुर तथा शारदानगर द्वितीय वार्डआदि वार्डों में भी मौजूदा पार्षद व पत्नियां चुनाव नहीं लड़ पाएंगी।

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