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69000 सहायक शिक्षक भर्ती के आरक्षण मामले में फैसला सुरक्षित, आरक्षित वर्ग की 19000 सीटों पर हुई सुनवाई, अभ्यर्थियों को दोहरा आरक्षण देने का आरोप


लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षित वर्ग की 19000 सीटों पर आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है। न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की एकल पीठ के समक्ष इस मामले में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई। अब कोर्ट इन पर फैसला सुनाएगा।



याचियों का आरोप है कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) तथा सहायक अध्यापक परीक्षा में अंकों में छूट देकर दोहरा आरक्षण दिया जा रहा है। इसको लेकर अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल कर अपने अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी के माध्यम से बहस की। जिस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अध्यापक पात्रता परीक्षा एक अर्हता परीक्षा है तथा इसमें दी गई अंकों की छूट या आरक्षण सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के चरण में लागू नहीं होते हैं। यह उस परीक्षा का भाग नहीं है।

इसके जवाब में याचियों के अधिवक्ता ने कहा कि जब अध्यापक पात्रता परीक्षा सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का भाग नहीं है तो फिर इन्हें अध्यापक पात्रता परीक्षा में अंकों में छूट आरक्षण के आधार पर क्यों दी जाती है? इस पर सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि इस भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को डबल रिजर्वेशन नहीं दिया जा रहा है। बल्कि यह भर्ती बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 के तहत की जा रही है। ऐसे में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों द्वारा डबल रिजर्वेशन पर दाखिल की गई याचिकाओं का कोई महत्व नहीं है।



कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया। साथ ही कहा कि हफ्ते भर में पक्षकारों के अधिवक्ता अपनी लिखित बहस दाखिल कर सकते हैं।

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