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हस्ताक्षर करना भूले तो लगेगा पांच गुना अर्थदंड

कानपुर : किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर छूट जाना मानवीय चूक होती है, लेकिन आयकर विभाग इसे जानबूझ कर किया गया कृत्य मानता है। इसीलिए वह इस पर अर्थदंड लगाता है। अब आयकर विभाग इस अर्थदंड को रोज के हिसाब से पांच गुणा बढ़ाने जा रहा है। बजट में इसे प्रस्तावित कर दिया गया है और एक अप्रैल से इसे लागू किया जाना है। कारोबार की भागदौड़, हिसाब का मिलान और गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) व आयकर के रिटर्न को भरने की चिंता के बीच हस्ताक्षर का छूट जाना सामान्य सी बात है। कई बार कारोबारी से खुद जल्दबाजी में हस्ताक्षर करने में चूक जाते हैं, तो कभी पेज आपस में चिपक जाने की वजह से हस्ताक्षर छूट जाते हैं। 



अधिकांश सरकारी विभागों में इस चूक पर हस्ताक्षर करने वालों को दोबारा बुलाकर हस्ताक्षर करा लिए जाते हैं, लेकिन आयकर विभाग इसके लिए करदाता के ऊपर 100 रुपये प्रतिदिन का अर्थदंड लगाता था। टैक्स सलाहकार संतोष कुमार गुप्ता के मुताबिक आयकर कानून की धारा 272ए के तहत इस अर्थदंड का प्रविधान है। अब बजट में इसमें संशोधन किया जा रहा है। इसमें अर्थदंड की राशि को पांच गुणा कर रोज के हिसाब से 500 रुपये अर्थदंड लगाने की तैयारी है। इसे एक अप्रैल से लागू किया जाना है। इतना ही नहीं यह अर्थदंड करदाता द्वारा आयकर विभाग के प्रश्न पर अपना उत्तर न देने, मांगे गए विवरण को न देने और निरीक्षण करने से इन्कार करने पर भी लगाया जाता है। इसे भी 100 रुपये प्रति दिन से बढ़ाकर 500 रुपये रोज करना प्रस्तावित किया गया है।

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