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वेतन तो मिला, पर कोरोना ने छीन ली जिंदगी, संक्रमित शिक्षकों को इयूटी से अनुपस्थित मानकर विभाग ने रोका था वेतन

 वेतन तो मिला, पर कोरोना ने छीन ली जिंदगी, संक्रमित शिक्षकों को इयूटी से अनुपस्थित मानकर विभाग ने रोका था वेतन

प्रयागराज। कोराना से संक्रमित बहरिया ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय छाता में तैनात शिक्षक नंदलाल राम का सोमवार को निधन हो गया। नंदलाल भी उन्हीं परिषदीय शिक्षकों में शामिल हैं, जिनकी ड्यूटी इंटीग्रेटेड कोविड


कंट्रोल रूम (आई. ट्रिपलसी) में लगी थी और वे खुद संक्रमित होने के कारण ड्यूटी पर नहीं पहुंच सके थे। ऐसे शिक्षकों को अनुपस्थित मानते हुए शिक्षा विभाग ने अप्रैल माह का बेतन रोक दिया था। सोमवार को नंदलाल समेत 60 शिक्षकों का बेतन जारी कर दिया गया। नंदलाल राम ने पंचायत चुनाव में भी ड्यूटी की थी और इसके बाद उनकी ड्यूटी आई. ट्रिपलसी में लगा दी गई थी। 23 अप्रैल को उनके कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आई और 25 अप्रैल को उन्हें भर्ती करा दिया गया। सोमवार को कानपुर के कांशीराम ट्रामा में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। आई. ट्रिपलसी में अनुपस्थित पाए गए 92 शिक्षकों का अप्रैल माह 2021 का वेतन रोक दिया गया था, जिसमें नंदलाल भी शामिल थे। शिक्षा विभाग के अफसरों ने यह जानने की जरूरत भी नहीं समझी की इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक अनुपस्थित क्‍यों हैं, जबकि हकीकत यह थी कि होम आइसोलेशन में रह रहे कोजिड मरीजों का हालचाल पूछने के लिए आई. ट्रिपलसी में तैनात किए गए तमाम शिक्षक खुद संक्रमित हो चुके थे और इसी बजह से ड्यूटी पर नहीं आ रहे थे। शिक्षा विभाग ने 92 शिक्षकों को अनुपस्थित मानते हुए उनका बेतन रोक दिया था। बाद में इसका विरोध शुरू हुआ तो शिक्षकों से प्रत्यावेदन मांगे गए। साथ ही कोविड पॉजिटिव होने का प्रमाण भी मांगा गया। बड़ी संख्या में शिक्षकों ने अपने प्रत्यावेदन दिए, जिसके बाद 60 शिक्षकों का वेतन जारी कर दिया गया और इनमें नंदलाल राम का नाम भी शामिल है। नंदलाल का बेतन तो मिल गया, लेकिन अब बह इस दुनिया में नहीं हैं। शिक्षकों का कहना है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बिना जांच-पड़ताल वेतन रोका। इससे शिक्षक मानसिक रूप से प्रताड़ित हुए हैं। जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती।

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