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मिड-डे मील: अब स्कूलों के बच्चों की थाली नहीं रहेगी खाली

 मिड-डे मील: अब स्कूलों के बच्चों की थाली नहीं रहेगी खाली

कोरोना संक्रमण की नई लहर के साथ स्कूलों का भले ही फिर से बंद होना शुरू हो गया है, लेकिन बच्चों की पढ़ाई और पोषण पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। केंद्र सरकार ने इसे लेकर फिर से कमर कस ली है। राज्यों को निर्देश दिया है कि स्कूल बंद हैं तो बच्चों को सूखा राशन और खाना पकाने की राशि (कुकिंग कॉस्ट) मुहैया कराई जाए। वहीं यदि स्कूल खुले हैं तो स्कूली बच्चों को पका हुआ पौष्टिक खाना उपलब्ध कराया जाए। यानी स्थितियां चाहे जो भी हों, बच्चों को पौष्टिक खाना मिलता रहेगा। उनकी थाली खाली नहीं रहेगी।


इसी तरह से स्कूली बच्चों को घर बैठे पढ़ाने की योजना पर भी काम शुरू हो गया है। इसके तहत बच्चों को ऑनलाइन, टेलीविजन, रेडियो जैसे उपलब्ध माध्यमों के जरिये पढ़ाया जाएगा। यानी बच्चों का साल खराब नहीं होगा। वैसे भी अब सरकार के बाद बच्चों को घर बैठे पढ़ाने को लेकर अनुभव भी हो गया है। ऐसे में अब और बेहतर तरीके से इस काम को अंजाम देने की तैयारी है। हालांकि इस बीच केंद्र सरकार का सबसे ज्यादा फोकस मिड-डे मील को लेकर है। इससे मौजूदा समय में देशभर के करीब बारह करोड़ स्कूली बच्चे जुड़े हुए हैं। इस योजना के तहत स्कूली बच्चों को दोपहर का खाना स्कूलों में ही गर्मागरम तैयार करके दिया जाता है।

केंद्र सरकार ने यह सारी कवायद उस समय तेज की है, जब कोरोना संक्रमण की नई लहर ने काफी आक्रामक स्वरूप ले लिया है। इससे बचाव के लिए देश भर में वैक्सीनेशन की भी मुहिम तेज हुई है।

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