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नई नियमावली के अनुसार अब प्रथम श्रेणी को ही शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ, कोरोना के चलते बजट घटा

नई नियमावली के अनुसार अब प्रथम श्रेणी को ही शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ, कोरोना के चलते बजट घटा

प्रदेश में अब सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के 60 फीसद नंबर होने पर ही उन्हें शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिल पाएगा। इससे कम अंकों पर वे आवेदन नहीं कर सकेंगे। 60 फीसद की न्यूनतम अर्हता के साथ मेरिट के आधार पर शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान किया जाएगा। मेरिट बढ़ भी सकती है। समाज कल्याण विभाग ने यह बदलाव प्रतिपूर्ति के नियमों में किया है।

इंटर में 60, स्नातक में 55 फीसद अंक अनिवार्य : नई नियमावली के अनुसार स्नातक स्तर पर शुल्क प्रतिपूर्ति का आवेदन करने वालों के लिए 12वीं में न्यूनतम 60 फीसद अंक अनिवार्य हैं, स्नातकोत्तर कोर्स की शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए स्नातक में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए।

कोरोना के चलते बजट घटा : कोरोना संक्रमण का असर सामान्य वर्ग की छात्रवृत्ति व प्रतिपूर्ति के बजट पर भी पड़ा है। सरकार ने वर्ष 2020-21 का बजट 325 करोड़ रुपये कम करके 500 करोड़ कर दिया है। ऐसे में न्यूनतम अर्हता बढ़ाकर आवेदनों की संख्या कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

पिछड़े वर्ग के लिए 50 फीसद अंक अनिवार्य : पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में पहले से ही 50 फीसद अंक की अनिवार्यता है। जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी एसपी सिंह ने बताया कि बजट के आधार पर मेरिट सूची बनती है। वर्ष 2019-20 में 67 फीसद तक अंक पाने वालों को ही लाभ मिल सका था।

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