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प्रदेशभर में सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर इस सत्र से ही चलेंगी प्री-प्राइमरी कक्षाएं

प्रदेशभर में सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर इस सत्र से ही चलेंगी प्री-प्राइमरी कक्षाएं

इस शैक्षिक सत्र से प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चे पढ़ाई भी करेंगे। यहां प्री-प्राइमरी कक्षाएं इसी सत्र से शुरू की जा सकती हैं। वहीं प्रदेश के सभी कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों की छात्राओं को रोजगारपरक कम्प्यूटर ट्रेनिंग भी देने की योजना है। राज्य सरकार ने ये प्रस्ताव वार्षिक कार्ययोजना की बैठक में केन्द्र को भेजे हैं।प्रदेश में 1.25 लाख आंगनबाड़ी केन्द्र हैं। इनमें लगभग 75 हजार केन्द्र बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की चारदीवारी के भीतर बने हैं। पिछले वर्ष केन्द्र सरकार ने इस मद में राज्य को 17 करोड़ रुपये दिए थे। ये बजट प्री-प्राइमरी के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए था। इसकी जिम्मेदारी एससीईआरटी को सौंपी गई थी।
आंगनबाड़ी में यूनिसेफ द्वारा दी जाने वाली पुस्तिका पहल में ही परिवर्तन कर इसे प्री-प्राइमरी के लिए तैयार किया गया है। आंगनबाड़ी में 3 से 5-6 वर्ष तक बच्चे जाते हैं। साढ़े पांच साल तक के बच्चों को प्राइमरी स्कूलों में प्रवेश दिया जाता है। लिहाजा नई शिक्षा नीति में तय किया गया कि 3 वर्ष से ही बच्चों को प्ले ग्रुप के तौर पर पढ़ाया जाए। वहीं कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में कम्प्यूटर ट्रेनिंग का भी प्रस्ताव इस बार केन्द्र भेजा जा रहा है। प्रदेश में 746 केजीबीवी हैं। इसके साथ ही सभी केजीबीवी को 12वीं तक उच्चीकृत करने के लिए भी मांग की गई है। अभी 350 केजीबीवी के लिए मंजूरी दी गई है। इनमें 229 केजीबीवी ऐसे हैं जहां तीन किलोमीटर के अंदर सरकारी या एडेड इंटर कॉलेज हैं। छात्राओं को यहां प्रवेश दिया जाएगा लेकिन छात्रावास की सुविधा मौजूदा केजीबीवी में होगी। प्रति छात्रावास के लिए 1.77 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। वहीं बाकी के 121 केजीबीवी में अतिरिक्त शैक्षिक ब्लॉक बनाए जा रहे।

ये भी है मांग

1-हर स्कूल के लिए फर्नीचर
2-नवाचार के प्रस्ताव
3-हर स्कूल में लाइब्रेरी
4- दीक्षा ऐप के लिए कंटेंट सेल 5- हर क्लासरूम में प्रिंटर मैटीरियल