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करदाता स्वयं आसानी से भर सकेंगे रिटर्न: आयकर विभाग ने आईटीआर-1 और 4 जारी किए, एक्सेल सुविधा भी शुरू की, रिफंड के लिए कागज अपलोड करने जरूरी


आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ऑफलाइन रिटर्न (आईटीआर) भरने की क्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए ऑफलाइन आईटीआर-1 (सहज) और आईटीआर-4 (सुगम) फॉर्म जारी कर दिए गए हैं। साथ ही विभाग ने एक्सेल की सुविधा भी शुरू कर दी है, जिसकी मदद से करदाता आसानी से रिटर्न भर पाएंगे।


ऐसे भरना होगा ऑफलाइन फॉर्म ऑफलाइन के लिए आयकर दाता को संबंधित फॉर्म डाउनलोड करना होगा। फिर इसे फॉर्म-16 से मिलान करते हुए या वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान हुई कुल आय के अनुसार भरना होगा। इसमें कुल आय, कुल बचत और टीडीएस की जानकारी भरनी होगी। फिर फॉर्म को स्कैन कर आयकर विभाग के पोर्टल पर अपलोड करना होगा। आकलन वर्ष 2023-24 के लिए आईटीआर भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है।

विभाग ने ऑफलाइन तरीके से आईटीआर दाखिल करने वालों के लिए एक्सेल आधारित सुविधा को शुरू कर दिया है। करदाता इसे विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। करदाता इसकी मदद से न सिर्फ अपनी टैक्स देनदारी का आकलन कर सकते हैं, बल्कि सीए या विशेषज्ञ

की मदद के बिना ही आईटीआर फॉर्म भर सकते हैं।

● आरटीआर-1 (सहज) यह उन लोगों के लिए है, जिनकी कुल 50 लाख रुपये तक है। इसमें वेतन से आय, घर की संपत्ति, ब्याज से अर्जित आय और 5000 रुपये तक की कृषि आय भी आती है।

● आरटीआर-4 (सुगम) यह उन व्यक्तियों, हिन्दू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) व फर्मों के लिए है, जिनकी कुल आय 50 लाख तक है। इसमें व्यवसाय व पेशे से आय शामिल है।

● आईटीआर-2 और 3 इसका इस्तेमाल आवासीय संपत्ति से आय अर्जित करने वाले लोग कर सकते हैं जबकि आईटीआर-3 फॉर्म कारोबार एवं पेशे से लाभ अर्जित करने वाले लोगों के लिए है।

● आईटीआर-5, 6 और 7 फार्म 5 और 6 सीमित दायत्वि भागीदारी (एलएलपी) एवं कारोबारों के लिए हैं, जबकि आईटीआर-7 फॉर्म का इस्तेमाल ट्रस्ट कर सकते हैं।

ये दस्तावेज जरूरी

एनपीएस, पीपीएफ, एसएसवाई, एनएससी, एससीएसएस, टैक्स सेविंग एफडी, यूलिप, बीमा इंश्योरेंस प्रीमियम, होम लोन ब्याज, होम लोन के मूल पैसे के भुगतान जैसे खर्चों और डोनेशन से जुड़े कागज।


रिफंड के लिए कागज अपलोड करने जरूरी
जो वेतनभोगी आयकर रिटर्न में अतिरिक्त डिडक्शन दिखाते हुए रिफंड के लिए दावा करते हैं, उन्हें इसके पक्ष में जरूरी दस्तावेज पेश करने अनिवार्य है। इस संबंध में आयकर विभाग के नियम स्पष्ट है। संबंधित दस्तावेज जमा न करने पर 200 जुर्माना लगाया जा सकता है।

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