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पीएफएमएस पोर्टल : ट्रेनिंग के अभाव में लटका भुगतान, स्कूलों में विकास कार्य भी ठप पड़े


लखनऊ। जिले के 1617 परिषदीय स्कूलों के शिक्षक विकास कार्य कराने के बाद पीएफएमएस पोर्टल (सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली) से भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। शिक्षकों ने बताया कि पीएफएमएस पोर्टल से भुगतान करने के लिए उन्हें सही से प्रशिक्षित ही नहीं किया गया। वहीं, कंपोजिट ग्रांट, एसीआर, चहक आदि मदों में आए पैसे को 31 मार्च से पूर्व खर्च करने का दबाव भी है।


पीएफएमएस पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत वेंडर के बैंक खाते में ही विकास कार्य के सापेक्ष धनराशि ट्रांसफर करनी है। यह प्रक्रिया काफी जटिल है। पीएफएमएस के लिए पहले पोर्टल से पीपीए प्रपत्र जनरेट कर डाउनलोड करना होगा। इस पर प्रबंध समिति यानी एसएमसी के अध्यक्ष व सचिव के हस्ताक्षर होंगे। फिर यह भुगतान के लिए बैंक में जाएगा। पीपीए जनरेट होने के बाद भुगतान लटक रहा है। वहीं, कई स्कूल सर्वर धीमा होने से पीपीए जनरेट भी नहीं कर पा रहे हैं। यदि 31 मार्च से पहले ट्रांजेक्शन सफल नहीं हुआ तो पैसा लैप्स होने का खतरा है। ऐसे में उन शिक्षकों को अधिक दिक्कत होगी जिन्होंने अपने निजी संबंधों पर एडवांस में काम करवा लिया है और पीएफएमएस से भुगतान लटक गया है। सूत्रों की मानें तो जिले में करीब 50 लाख रुपये का पीएफएमएस भुगतान लंबित है। बीएसए अरुण कुमार ने बताया कि शिक्षकों को पीएफएमएस के संचालन का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। भुगतान संबंधी शिकायतों का संज्ञान लेकर शिक्षकों की मदद की जा रही है। यदि किसी को कोई समस्या है तो मुझसे सीधे संपर्क कर सकते हैं। जिन शिक्षकों ने सही ढंग से पीपीए जनरेट कर लिया है, उनका पैसा लैप्स नहीं होगा।


काम भी अटका, भुगतान भी लटका

प्राथमिक विद्यालय धनुआंसाड़ की प्रधानाध्यापिका विमलेश मौखरी ने बताया कि खिड़कियों से आंधी पानी अंदर क्लास में न आए, इसलिए उनकी मरम्मत कराई थी। पीएफएमएस पोर्टल से भुगतान का प्रयास किया तो बैंक खाते से पैसे कट गए लेकिन वेंडर के खाते में नहीं पहुंचे। लेखाधिकारी कार्यालय में कोई इस बारे में सही जानकारी नहीं दे पा रहा है। ऐसे में काम व भुगतान दोनों लटक गए हैं। प्रशिक्षण के अभाव में कुछ समझ नहीं आ रहा है।

जिम्मेदार तुरंत लें सटीक निर्णय

बैंक द्वारा पैसा वेंडरों के खाते में नहीं जाने के स्थान पर वापस हो रहा है। शिक्षकों को डर है कि कहीं ये पैसा महीने के अंत में लैप्स न हो जाए। 66 इस पर निर्णय लिया जाना अति आवश्यक है।

- विनय कुमार सिंह, प्रांतीय अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन

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