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कोर्ट आर्डर के बाद एक अंक से चयन से वंचित 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों में बढ़ी नियुक्त होने की उम्मीद


प्रयागराज, याचिकाओं में उलझी 69000 शिक्षक भर्ती पूरी नहीं हो पा रही है। आरक्षण में त्रुटि का आरोप लगाकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी चयन सूची संशोधित करने के हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के आदेश के बाद से उलझे ही हुए हैं कि एक अंक से चयन से बाहर हुए याची कोर्ट के आदेश के बावजूद नियुक्ति की प्रतीक्षा में हैं। एक अंक मामले में अभ्यर्थियों की अवमानना याचिका पर हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) सचिव को और समय देने से इन्कार कर दिया। साथ ही आदेश के अनुपालन में हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया है। इससे करीब डेढ़ वर्ष से प्रतीक्षा कर रहे अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिलने की उम्मीद जगी है। अगली सुनवाई 12 अप्रैल को होगी। उत्तरकुंजी विवाद मामले में हाई कोर्ट की डबल बेंच ने 25 अगस्त 2021 को शैक्षिक परिभाषा वाले प्रश्न पर मेरिट में आ रहे याची अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का आदेश दिया था। करीब सात माह बाद इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका 11 नवंबर 2022 को खारिज कर हाई कोर्ट के डबल बेंच के आदेश को सही ठहराया था।



इसके अनुपालन में पीएनपी ने 11 जनवरी से 19 जनवरी 2023 तक आनलाइन प्रत्यावेदन लिया और परीक्षण के बाद करीब 2300 याची अभ्यर्थियों की सूची बेसिक शिक्षा परिषद को अंतिम चयनित गुणांक के अनुसार तैयार किए जाने के लिए भेज दी। इधर, अभ्यर्थियों ने अवमानना याचिका भी लगाई है। याची अभ्यर्थी दुर्गेश शुक्ल ने बताया कि लखनऊ खंडपीठ के एकल बेंच के आरक्षण मामले के आदेश का हवाला देते हुए एक अंक विवाद में चार माह का अतिरिक्त समय मांगा जा रहा है, जिसे कोर्ट ने नहीं माना।

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