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अंग्रेजी के कारण कोई पीछे ना छूटे: मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को स्थानीय भाषाओं के उपयोग की वकालत की और कहा कि अंग्रेजी में असहज लोग पीछे ना छूटने पाएं। गुजरात के गांधीनगर जिले के अडलाज शहर में ‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ की शुरुआत करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा, पहले अंग्रेजी भाषा के ज्ञान को बौद्धिक होने की निशानी माना जाता था। वास्तविकता यह है कि अंग्रेजी भाषा केवल संवाद का एक माध्यम है। यह भाषा बाधा एक बाधा थी।


प्रधानमंत्री ने कहा कि गांवों की कई युवा प्रतिभाएं डॉक्टर और इंजीनियर नहीं बन सकीं क्योंकि उन्हें अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान नहीं था। युवाओं के पास अब दूसरी भाषाओं में पढ़ाई करने का विकल्प है। मोदी ने कहा, हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गरीब माता-पिता के बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बनें, भले ही वे अंग्रेजी माध्यम में शिक्षित न हों। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अंग्रेजी भाषा की कमी के कारण कोई भी पीछे न रहे। नई शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा कि यह देश को अंग्रेजी भाषा से जुड़ी गुलाम मानसिकता से बाहर निकालेगी।

5जी से शिक्षा में बड़ा बदलाव आएगा मोदी ने कहा कि हाल ही में शुरू की गई 5जी दूरसंचार सेवा देश में शिक्षा प्रणाली को अगले स्तर तक ले जाएगी क्योंकि नवीनतम प्रौद्योगिकी चीजों को स्मार्ट सुविधाओं, स्मार्ट कक्षाओं और स्मार्ट शिक्षा से भी आगे पहुंचाएगी। ‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ पहल की शुरुआत करने के बाद उन्होंने कहा कि नया मिशन नई कक्षाओं, स्मार्ट कक्षाओं, कंप्यूटर प्रयोगशालाओं की स्थापना और राज्य में स्कूलों के बुनियादी ढांचे के समग्र उन्नयन के माध्यम से शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करेगा।

क्या है ‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के तहत गुजरात सरकार 50,000 नई कक्षाओं का निर्माण करेगी। सरकार द्वारा संचालित स्कूलों की लगभग एक लाख मौजूदा कक्षाओं को 5जी तकनीक का उपयोग कर स्मार्ट कक्षाओं में परिवर्तित किया जाएगा।

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