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इलाहाबाद हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के अध्यापकों को पेंशन का हक

 इलाहाबाद हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के अध्यापकों को पेंशन का हक

 इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि राजकीय वित्तीय सहायता प्राप्त निजी शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत ऐसे सभी शिक्षक और कर्मचारी पेंशन पाने के हकदार हैं जो 1964 की पेंशन नियमावली के दायरे में आते हैं। कोर्ट ने पेंशन का लाभ सिर्फ उच्चतर प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों तक सीमित करने को सही नहीं माना और इस संबंध में जारी आदेश रद कर दिया है।



यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने लाल साहब सिंह तथा अन्य की याचिका पर दिया है। हाई कोर्ट ने मान्यता प्राप्त शासकीय सहायता वाले निजी विद्यालय के अध्यापकों को उनका प्रबंधकीय अंशदान ब्याज सहित जमा करने के लिए दो माह का समय दिया है। साथ ही सरकार को आदेश दिया है कि याची गण को पेंशन का लाभ दिया जाए।

याचीगण के अधिवक्ता रामकृष्ण यादव का कहना था कि याचीगण धर्मराजी देवी गंगा प्रसाद सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जौनपुर में सहायक अध्यापक हैं। शुरू में यह उच्चतर प्राथमिक विद्यालय था, 1986 में इसे हाईस्कूल की मान्यता मिली। याचीगण रिटायर हो चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने पांच फरवरी 17 को जारी शासनादेश के तहत पेंशन के लिए अपना प्रबंधकीय अंशदान ब्याज सहित जमा करने की पेशकश की। इसे यह कहते खारिज कर दिया गया कि उक्त शासनादेश का लाभ सिर्फ उच्चतर प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों के लिए है।


अधिवक्ता ने हाई कोर्ट द्वारा बुद्धिराम केस में दिए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि इसमें यह स्पष्ट है कि पेंशन योजना का लाभ पाने के हकदार वह सभी लोग हैं जो 1964 की पेंशन नियमावली के दायरे में आते हैं। सरकारी अधिवक्ता का कहना था कि 22 मई 2006 के शासनादेश में अंशदान जमा करने के लिए कट ऑफ डेट जारी की गई थी। याचियों ने नियत तिथि के भीतर अंशदान जमा नहीं किया।

याचीगण का कहना था कि 2006 का शासनादेश उनको उपलब्ध ही नहीं कराया गया। उन्हें योजना की जानकारी 2017 में जारी शासनादेश से हुई तब उन्होंने कट ऑफ डेट के भीतर ही अंशदान जमा करने की पेशकश की थी। वर्ष 2006 के शासनादेश में जो कट ऑफ डेट जारी की गई थी उसे हाई कोर्ट ने बुद्धिराम केस में रद कर दिया था। वर्ष 2017 का शासनादेश हाई कोर्ट द्वारा बुद्धिराम केस में दिए निर्णय के अनुपालन में है।


हाई कोर्ट ने कहा सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह शासनादेश का लाभ ऐसे सभी शैक्षणिक संस्थानों के कर्मचारियों को समान रूप से देगी। बता दें कि प्रदेश सरकार ने 1964 से ऐसे शासकीय सहायता प्राप्त निजी विद्यालयों के अध्यापकों व कर्मचारियों को भी पेंशन देने का निर्णय लिया था जो मान्यता प्राप्त थे।

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