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यूपी के माध्‍यमिक स्कूलों की समय सारिणी न बदली तो होगा आंदोलन, उप्र माध्‍यमिक शिक्षक संघ की चेतावनी

 यूपी के माध्‍यमिक स्कूलों की समय सारिणी न बदली तो होगा आंदोलन, उप्र माध्‍यमिक शिक्षक संघ की चेतावनी

यूपी के माध्यमिक स्कूलों में कक्षा नौ से 12वीं तक की भौतिक कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। शासन के निर्देश के अनुसार सभी विद्यालय दो पालियों में चलेंगे। पहली पाली सुबह आठ बजे से 12 बजे तक चलेगी जबकि दोपहर 12:30 बजे से चार बजे तक दूसरी पाली की कक्षाएं चलेंगी। शिक्षकों का कहना है कि इस समय सारिणी के अनुसार शिक्षकों को आठ घंटे कार्य करना पड़ रहा है। यह किसी भी हाल में ठीक नहीं है।


आठ घंटे शिक्षण कार्य को बदलने की मांग

शिक्षकाें का कहना है कि आठ घंटे ड्यूटी फैक्ट्री के कर्मचारी से ली जा सकती है। शिक्षकों को भी उसी मानक पर रखने की कोशिश उचित नहीं है। कोई भी शिक्षक आठ घंटे शिक्षण कार्य नहीं कर सकता। इस समय सारिणी को अनिवार्य रूप से बदलना होगा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट) ने सरकार के इस कदम की निंदा की है। कहा है कि अध्यापन कार्य को अन्य कार्यों से अलग पैमाने पर नापना चाहिए।


उप मुख्‍यमंत्री को पत्र भेज आदेश वापसी की मांग की

शिक्षक नेताओं का कहना है कि अध्यापन कार्य के लिए आठ घंटे नहीं तय किए जा सकते हैं। यदि बात नहीं मानी गई तो शिक्षक सड़क पर उतर कर विरोध करेंगे। सरकार को तानाशाही पूर्ण रवैये से बाज आना होगा। इस संबंध में जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा को भेजा गया है। शिक्षकों को संबोधित करते हुए संगठन के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी ने कहा कि कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए भौतिक रूप से विद्यालय खोले जाने का हम स्वागत करते हैं। किंतु शिक्षा संहिता तथा अन्य नियमों में निर्धारित मापदंड के विपरीत अध्यापकों को विद्यालयों में 8:30 घंटे तक रोके जाने का विरोध करते हैं।


शिक्षक नेता बोले- तानाशाही पूर्ण रवैया से जा चुकी है सैकड़ों की शिक्षकों की जान

शिक्षक नेता लालमणि द्विवेदी ने कहा कि सरकार के तानाशाही पूर्ण रवैया के कारण ही पंचायत चुनाव में हजारों शिक्षकों की जान चली गयी। पूरे ग्रीष्मावकाश शिक्षकों ने लगातार ऑनलाइन माध्यम से अध्यापन कार्य किया। अब शिक्षकों को कार्यालय का लिपिक और मजदूर समझते हुए साढ़े 8 घंटे तक विद्यालय में रोकने का आदेश जारी किया गया है। सरकार के इस प्रकार की तानाशाही का अब प्रदेश का शिक्षक डटकर विरोध करेगा आगे और भी बड़े आंदोलन किए जाएंगे।

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