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बिना परीक्षा क्लास प्रमोशन से ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों का मन उचट रहा

 बिना परीक्षा क्लास प्रमोशन से ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों का मन उचट रहा

यूपी बोर्ड के माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई के ग्राफ में पिछले साल के मुकाबले भारी गिरावट देखने को मिल रही है।


खासकर राजकीय, सहायता प्राप्त और वित्त विहीन विद्यालयों में मात्र 25 से 30 फीसदी छात्रों की ही उपस्थिति दर्ज हो रही है जबकि पिछले साल छात्र उपस्थिति का ये प्रतिशत 70 से 80 तक था।
शिक्षकों की माने तो स्कूलों में लगा ताला और पिछले दो बार से जिस तरह छात्रों को प्रमोट किया जा रहा है उससे ऑनलाइन पढ़ाई की अहमियत घटी है।
कोरोना महामारी के चलते पिछले साल से ही शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। हालांकि बच्चों की शिक्षा अनवरत चलती रहे इसके लिए सभी ने ऑनलाइन शिक्षण पद्धति को अपनाया।

पिछले साल से छात्रों की अधिकतर पढ़ाई ऑनलाइन ही चल रही है। पिछले साल आनन-फानन में स्कूलों ने एप, व्हाट्सएप ग्रुप, टीवी आदि माध्यमों से पढ़ाई शुरू की। धीरे-धीरे सभी इसके अभ्यस्त होते चले गए।
इस साल भी नया शिक्षण सत्र ऑनलाइन पढ़ाई से शुरू हुआ है, लेकिन यूपी बोर्ड के माध्यमिक विद्यालयों में इस बार पिछले साल के मुकाबले ऑनलाइन पढ़ाई में छात्रों की उपस्थिति नाममात्र की देखने को मिल रही है।
राजकीय जुबली इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि पिछले साल स्कूल की ऑनलाइन पढ़ाई में 80 प्रतिशत तक छात्रों की उपस्थिति थी, जो इस बार घटकर 40 प्रतिशत पर आकर सिमट गई है।
अगर 120 छात्रों के ग्रुप की बात करें बमुश्किल 45 छात्र ही उपस्थित हो रहे हैं। अमीनाबाद इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य साहेब लाल मिश्रा ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई की गति औसत है।
ज्यादा से ज्यादा 20 प्रतिशत तक ही छात्र उपस्थित हो रहे हैं। छात्रों में दिलचस्पी बढ़ाने के लिए निजी कॉलेजों की तरह जूम, गूगल मीट का भी सहारा लिया, लेकिन यह संसाधन महंगा होने की वजह से चार से छह छात्र ही इसका लाभ उठा पा रहे हैं।
एमडी शुक्ला इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. एचएल उपाध्याय ने बताया कि जूनियर कक्षाओं में 20 से 25 प्रतिशत छात्र उपस्थित हो रहे है जबकि सीनियर वर्ग के कुछ विषयों में उपस्थिति का आंकड़ा 50 प्रतिशत तक पहुंच रहा है।
बिना परीक्षा पास से दिलचस्पी हुई कम
शिक्षकों ने बताया कि मौजूदा हालात और परिस्थितियों से बच्चों में पढ़ाई के प्रति गंभीरता खत्म होती जा रही है। पिछले दो बार से छात्रों को बिना परीक्षा के प्रमोट किया गया है। शिक्षकों ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई में ना अटेंडेंस की चिंता है और ना ही होमवर्क करने का डर। वहीं, स्कूलों पर लगे ताले से भी ऑनलाइन पढ़ाई प्रभावित हो रही है। परिषदीय और माध्यमिक विद्यालयों में अभी तक शिक्षकों को नहीं बुलाया जा रहा, जिस वजह से छात्रों के दाखिले भी बुरी तरह से प्रभावित हैं। इससे भी ऑनलाइन पढ़ाई का ग्राफ गिरा है। शिक्षकों के अनुसार जब स्कूल खुलते हैं तो आसपास के छात्र खुद ही समस्या लेकर पहुंच जाते हैं। इससे उनकी पढ़ाई में दिलचस्पी बनी रहती है।

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