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कोरोना से बेसिक शिक्षक ने जीत ली जंग पर बीबी का जेवर और खेत रखना पड़ा गिरवी, पढ़े पूरा मामला

 कोरोना से बेसिक शिक्षक ने जीत ली जंग पर बीबी का जेवर और खेत रखना पड़ा गिरवी, पढ़े पूरा मामला

जिंदगी की जंग तो जीत ली लेकिन जेवरऔर खेत गिरवी हो गये। इलाज पर 38 दिन में नौ लाख रुपये अस्पताल में खर्च हो गए। अब पोस्ट कोविड कमजोरी से जूझ रहे शिक्षक को समझ में नहीं आ रहा है कि वह पत्नी के जेवर और पुश्तैनी खेत को कैसे छुड़ाएं। इतना ही नहीं मित्रों और रिश्तेदारों से लिया कर्ज भी चुकाने की चिंता सता रही है।



पादरी बाजार में रहने वाले प्राथमिक शिक्षक राजेन्‍द्र लाल 38 दिन बाद अस्‍पताल से घर लौटे तब उन्‍हें पता चला कि उनके इलाज के लिए पत्‍नी ने अपने जेवर गिरवी रख दिए। इसके बाद फिर रुपये की जरूरत पड़ी तो छह बीघा खेत गिरवी रखना पड़ा। मुसीबत की इस घड़ी में कई मित्रों व रिश्‍तेदारों ने भी मदद की।

पिपराइच थाना क्षेत्र के गोलहरा गांव के रहने वाले 48 वर्षीय शिक्षक राजेन्द्र लाल ने बीते दिसंबर में पादरी बाजार में मकान खरीदा है। मकान खरीदने में उनकी पूरी जमा पूंजी खर्च हो गई। लोन भी लेना पड़ा। पत्नी कनकलता ने बताया कि 11 अप्रैल को उनकी तबीयत बिगड़ी तो उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच में कोरोना पॉजिटिव मिले तो बेटियां शिवानी, सुदीक्षा और पुत्र शशांक घबरा गए। कनकलता ने सभी को हौसला बंधाया और खुद लग गई इलाज के लिए पैसों के इंतजाम में।

38 दिन में इलाज पर 9 लाख से ज्यादा खर्च हुए अस्पताल से 38 दिन बाद 17 मई को राजेन्‍द्र डिस्‍चार्ज हुए। तब तक इलाज पर करीब 9 लाख से ज्‍यादा खर्च हो चुके थे। इसमें छह लाख रुपये अस्पताल का बिल है जबकि तीन लाख रुपये दवाओं पर खर्च हुए। इसके अन्य अन्य खर्चों का कोई हिसाब नहीं है। कनकलता का कहना है कि राजेन्‍द्र अभी पूरी तरह सामान्‍य नहीं है। उन्‍हें उठने-बैठने के लिए भी किसी की मदद लेनी पड़ रही है।

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