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विद्यालय ही शिक्षक की असली पहचान है: अभिषेक शुक्ल

 विद्यालय ही शिक्षक की असली पहचान है: अभिषेक शुक्ल

सीतापुर। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षकों का पारस्परिक अंतर्जनपदीय स्थानांतरण हुये तीन माह से ऊपर बीत गये है किन्तु अभी तक इन शिक्षकों को विद्यालय आवंटित नहीं किये गये है। सीतापुर के शिक्षक अभिषेक शुक्ला ने कहा कि विद्यालय ही शिक्षक की पहचान होती है। ऐसे में इन शिक्षकों को कब तक बीएसए दफ्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। आखिर इन सभी शिक्षकों को विद्यालय आवंटित करने में देरी सरकार द्वारा क्यों की जा रही शिक्षक अभिषेक शुक्ला ने कहा कि पूरे प्रदेश में चार हजार शिक्षकों को पारस्परिक अंतर्जनपदीय स्थानांतरण हुये है। सरकार ने आवेदन के समय समान पद समान विषय व समान कार्यरत क्षेत्र की बाध्यता रखी।


शिक्षकों ने बड़ी मेहनत से अपने म्यूच्यूअल शिक्षकों की खोज की। जिन्हें अपने गृह जनपद का म्यूच्यूअल नही मिला उन्होने अपने नजदीक वालो जिले के शिक्षक के साथ अपना म्यूच्यूअल ट्रांसफर करा लिया।


सरकार द्वारा पहली बार पारस्परिक अंतर्जनपदीय स्थानांतरण किये गये है। शिक्षकों को उनके म्यूच्यूअल शिक्षकों के विद्यालय ही मिलने चाहिये अन्यथा म्यूच्यूअल ट्रांसफर का अर्थ भी क्या रह जाता है। कोविड संक्रमण को देखते हुये भी इन शिक्षकों को इनके म्यूच्यूअल शिक्षक का विद्यालय देना उपयुक्त भी लगता है। यदि ऑफलाईन स्कूल आवंटित किये गये तो भीड़ इकट्ठी होने में कोरोना का संक्रमण भी बढ़ जायेगा।

शिक्षक अभिषेक शुक्ला ने बताया कि जब शिक्षकों की एलपीसी सर्विस बुक वेतन भुगतान और सारी कार्यवाही ऑनलाइन है तो विद्यालय भी ऑनलाइन ही आवंटित कर देने चाहिये। जब सरकार द्वारा आवेदन लिये गये थे तो कही भी इस बात का उल्लेख नहीं था कि इन्हें नये सिरे से काउन्सेलिंग के माध्यम से विद्यालय आवंटित किये जाये तो फिर समान पद और विषय के शिक्षक के साथ म्यूच्यूअल ट्रांसफर करने का क्या अर्थ रह जाता है।


शिक्षा परिषद व एडेड जूनियर विद्यालयों में जब भी म्यूच्यूअल इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर होते है तो उन्हे एक- दूसरे के विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। जब कि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा प्रथम बार ट्रांसफर किये गये है, इन्हे भी इन्ही नियमों का पालन करना चाहिये।

पारस्परिक स्थानांतरण में प्रत्येक शिक्षक का एक दूसरे के साथ म्यूच्यूअल हुआ है। इसका मतलब दोनो शिक्षक अपने अपने विद्यालय से कार्यमुक्त होकर बीएसए दफ्तर से जुड़े हैं। अब दोनों के विद्यालय में एक एक पद रिक्त हो गया तो दोनो शिक्षकों को एक दूसरे के विद्यालय में सी भेज कर कोरोना महामारी से बचते हुए बिना कॉउन्सलिंग के विद्यालय आवंटित किया जा सकता है और ऐसा करने से समान पद विषय व कार्यक्षेत्र का भी पालन हो जायेगा। ऐसा करने से विभाग का कार्य भी आसान हो जायेगा। इस कोरोनाकाल मे सरकार से अनुरोध है कि ऑनलाइन म्यूच्यूअल स्कूल आवंटित करते हुये शिक्षको की जीवन रक्षा करे।

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