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52 शिक्षकों की मौत ! सरकारी आंकड़ों में एक भी नहीं

 52 शिक्षकों की मौत ! सरकारी आंकड़ों में एक भी नहीं

रायबरेली :- तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है... कवि अदम गोंडवी की यह लाइनें बेसिक शिक्षा विभाग पर सटीक बैठ रही हैं। पंचायत चुनाव से अब तक बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत करीब 52 शिक्षक और कर्मियों की मौत हो चुकी है। शिक्षक संगठन कोरोना संक्रमण के कारण मौत होना बता रहे हैं। वहीं विभाग द्वारा इसे सिरे से खारिज कर दिया गया। शासन को भेजे गए रिपोर्ट में एक भी मौत को नहीं दर्शाया गया है।


जी हां, हम बात कर रहे बेसिक शिक्षा विभाग की पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद से नामांकन, प्रशिक्षण, मतदान और मतगणना तक की जिम्मेदारी शिक्षकों ने बखूबी से निभाई। इस दौरान कई शिक्षक और कर्मी सर्दी, जुखाम और बुखार से पीड़ित हो गए। इससे अब तक 52 लोगों की मौत हो चुकी है। इनकी मौत की वजह शैक्षिक संगठनों द्वारा कोरोना संक्रमण बताया जा रहा है। इस संबंध में शासन को ज्ञापन भी भेजा गया। वहीं बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा चुनाव के दौरान किसी भी शिक्षक अथवा कर्मी की संक्रमण से मौत नहीं होना दर्शाया जा रहा है।

सदर विधायक ने मुख्यमंत्री को मदद के लिए भेजा पत्र सदर विधायक अदिति सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर 52 शिक्षक और कर्मियों की कोरोना संक्रमण से मौत का हवाला दिया है। उन्होंने पीड़ित परिवारों को मदद दिलाने की मांग की है। इस पत्र को शासन ने गंभीरता से लेते हुए बीएसए से रिपोर्ट तलब कर ली। इसमें शासन की गाइड लाइन के अंतर्गत आने वाले मृतक शिक्षकों की सूची मांगी गई। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि सूची में एक भी शिक्षक मौत कोरोना संक्रमण से नहीं होना दर्शाया गया।


शासन की गाइड लाइन में प्रशिक्षण, मतदान अथवा मतगणना के समय संक्रमण से मौत होने को माना गया है। इसके तहत किसी भी शिक्षक अथवा कमी की मौत नहीं हुई है। न ही अभी तक किसी पीडित परिवार ने ऐसा दावा किया है।

आनंद प्रकाश शर्मा, बीएसए

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