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मदरसों की फर्जी भर्तियों में कुछ और नपेंगे: एसआईटी

 मदरसों की फर्जी भर्तियों में कुछ और नपेंगे: एसआईटी

मदरसों में अनियमित ढंग से हुई नियुक्तियों के मामले में अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय भी जांच के घेरे में आ गया है। एसआईटी को प्रारंभिक जांच में ही निदेशालय की मिलीभगत के साक्ष्य मिले हैं।एसआईटी ने दो अफसरों को तो प्रथम दृष्ट्या दोषी भी पाया है। जल्द ही निदेशालय व मदरसा बोर्ड के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों ने पूछताछ हो सकती है। जांच में सामने आया है कि आजमगढ़ में एक सोसाइटी के अध्यक्ष ने अपनी बेटी को

प्रधानाचार्य बना दिया और बाकी दो ब्रेटियों को सहायक अध्यापक...। एसआईटी को आजमगढ़ के 20 मदरसों के स्थलीय निरीक्षण तथा मदरसों एवं जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से प्राप्त अभिलेखों की जांच से चौंकाने वाली जानकारी मिली। मदरसों में ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति की गई, जिनके प्रमाणपत्र ऐसी संस्था से निर्गत थे जो नतो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार की किसी संस्था द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। कुछ शिक्षक तो अपने पद पर नियुक्ति के अनुरूप शैक्षिक योग्यता ही नहीं रखते थे। कुछ की नियुक्ति सहायक अध्यापक आलिया के लिए निर्धारित शैक्षिक योग्यता फाजिल के 55 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त होने पर भी की गई। एक शिक्षक द्वारा एक अंक के ग्रेस मार्क से तृतीय श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण की गई है। इसी तरह एक शिक्षक द्वारा तीन वर्ष का शिक्षण अनुभव दर्शाया गया। यह अनुभव प्रमाणपत्र जिस समय का था उस समय यह मदरसा मान्यता प्राप्त ही नहीं था।

अध्यक्ष ने अपनी चारों बेटियों को बना दिया शिक्षक
एसआईटी की जांच में पता चला कि मदरसा जामिया नुरूल ओलूम मुबारकपुर
आजमगढ़ में तो बेहद चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। यह मदरसा अंजूमन
सिद्दीकीया जामिया नुरूल ओलूम मुबारकपुर सोसाइटी के द्वारा संचालित है।
सोसाइटी के अध्यक्ष ने खुद चयन समिति का अध्यक्ष बनकर अपनी वार बेटियों में
से एक तो प्रधानाचार्य तथा तीन को सहायक अध्यापक नियुक्त कर दिया। यह
नियुक्तियां वर्ष 2013 से 2014 के बीच की गई हैं।

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