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भर्ती एजेंसी का विकल्प सीमित, आठ परीक्षाओं पर असर की आशंका:- तीन स्थगित भर्तियों के अलावा आठ की लिखित परीक्षाएं बाकी, निर्णय में देरी तो लटकनी तय

 भर्ती एजेंसी का विकल्प सीमित, आठ परीक्षाओं पर असर की आशंका:- तीन स्थगित भर्तियों के अलावा आठ की लिखित परीक्षाएं बाकी, निर्णय में देरी तो लटकनी तय

लखनऊ। यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक भर्ती की परीक्षा निरस्त होने और तीन भर्तियों की परीक्षाएं स्थगित किए जाने के बाद बाकी आठ लंबित भर्तियां भी अटकने की संभावना बढ़ गई है।


दरअसल, आयोग के अंतर्गत चार भर्ती एजेंसियां पहले से इम्पैनल हैं। आयोग केवल वित्तीय बिड निकालकर इन एजेंसियों में से किसी एक का चयन कर सकता है। जानकार बताते हैं कि चार एजेंसियों में से एक पहले ही किसी मामले में ब्लैकलिस्ट हो चुकी है। दूसरी एजेंसी, राज्य लोक सेवा आयोग में काम करती रही है और करीब दो वर्ष पहले एक भर्ती में संदिग्ध भूमिका के लिए चर्चा में रह चुकी है। बाकी दो एजेंसियों में से एक ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी (समाज कल्याण) व समाज कल्याण पर्यवेक्षक की भर्ती परीक्षा रद्द होने से सवालों में घिर गई है। ऐसे में केवल एक ही एजेंसी बची - है। अब या तो आयोग बिना टेंडर कराए इसी एजेंसी से उसकी शर्तों पर भर्ती परीक्षाओं का आयोजन कराए या नई एजेंसियां के इम्पैनलमेंट कराने की कार्यवाही कराए। नई एजेंसियों के इम्पैनलमेंट की प्रक्रिया में तीन से चार महीने तक समय लग सकता है। वहीं यदि सिंगल एजेंसी को बिना किसी प्रतिस्पर्धा काम दे दिया जाए तो भविष्य में कई अन्य सवालों का जवाब देना पड़ सकता है।

सूत्रों का कहना है कि आयोग जिस तरह कार्य कर रहा है, उस हिसाब से इस निर्णय के लिए शासन स्तर से मार्गदर्शन मांगा जाना तय माना जा रहा है। शासन स्तर पर निर्णय में लंबा समय लग रहा है। ऐसे में तीन स्थगित भर्तियों ( वन रक्षक-वन्य जीव रक्षक, सहायक सांख्यिकी अधिकारी एवं सहायक शोध अधिकारी और सहायक बोरिंग टेक्नीशियन ) व अन्य लंबित भर्तियों की लिखित परीक्षाएं लंबे समय तक फंस सकती हैं। आयोग के स्तर पर आठ भर्तियां लिखित परीक्षा के लिए लंबित हैं।


वीडीओ की परीक्षा निरस्त हुई, विज्ञापन नहीं

आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी (समाज कल्याण) व समाज कल्याण पर्यवेक्षक सामान्य चयन भर्ती - 2018 की परीक्षा निरस्त की गई है, विज्ञापन निरस्त नहीं किया है। ऐसे में आयोग को अभी यह तय करना है कि इस भर्ती के बारे में आगे क्या रणनीति अपनाई जाए। यदि विज्ञापन निरस्त किया जाता है तो आवेदकों को आवेदन शुल्क वापस करना होगा। दूसरा, यदि परीक्षा कराई जाती है तो परीक्षा एजेंसी के बारे में जल्द से जल्द निर्णय करना होगा।


कई ओएमआर शीट गायब

तीनों पदों के लिए हुई भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े की जांच कर रही एसआईटी के अधिकारी इसके खुलासे से संबंधित तमाम तरह की सूचनाएं जुटा रहे हैं। एसआईटी ने आयोग से मेरिट सूची में शामिल सभी अभ्यर्थियों की ओएमआर सीट मांगी है। बताया जा रहा है कि जिन अभ्यर्थियों को आयोग व कोषागार ओएमआर शीट में अंतर के बाद चयन सूची से बाहर कर दिया गया था, उन सभी के ओएमआर मिल गए हैं। पर, जिन्हें चयिनत घोषित किया गया था, उनमें से करीब 100 के ओएमआर नहीं मिल रहे थे। काफी खोजबीन के बाद कुछ मिले हैं। बाकी की खोजबीन जारी है। आयोग के भीतर से लेकर परीक्षा से जुड़े तंत्र के तमाम लोग अब एसआईटी जांच के दायरे में हैं।



आयोग फिलहाल रद्द की गई परीक्षा की एसआईटी जांच से जुड़ी कार्यवाही को आगे बढ़ाने में सहयोग देने में व्यस्त है। अन्य भर्तियों से जुड़ी कार्यवाही चल रही है। - प्रवीर कुमार, चेयरमैन अधीनस्थ सेवा चयन आयोग

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