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प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई पर उनके अभिभाक नहीं देते ध्यान , इन जिलों में ज्यादा दिक्कतें

 प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई पर उनके अभिभाक नहीं देते ध्यान , इन जिलों में ज्यादा दिक्कतें

प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई पर उनके अभिभाक ध्यान नहीं देते। करीब 25 प्रतिशत अभिभावक बच्चों की आफ लाइन पढ़ाई के लिए शिक्षण सामग्री लेने स्कूल तक नहीं जाते। शिक्षकों के फोन को अनसुना करते हैं और बुलाने पर आते नहीं।


प्रदेश के प्राइमरी सकूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को ऑफलाइन भी शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। कॉपी किताब देने के साथ-साथ विभाग स्कूलों के बच्चों को वर्कशीट भी उपलब्ध करा रहा है। यह वर्कशीट सप्ताह में एक दिन बच्चों के अभिभावकों को स्कूल लेने आना होता है। और फिर इसे दोबारा आने पर वापस जमा करना होता है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक शिक्षकों के फोन करने, बुलाने तथा संदेश देने के बावजूद करीब 25% अभिभावक ऐसे मिले हैं जो स्कूल नहीं आते। यह बच्चों की पढ़ाई को लेकर गंभीर नहीं हैं।

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दीक्षा एप से जुड़े छात्र भी ले सकते हैं शिक्षण सामाग्री

करीब 11% बच्चे दीक्षा एप से जुड़े हैं। वह ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। टेलीविजन व रेडियो से भी पढ़ाई कर रहे हैं। इन्हें भी वर्कशीट लेना है। लेकिन जो आन लाइन पढ़ रहे हैं वह और जो नहीं पढ़ रहे हैं उन सभी मिलाकर करीब 25% बच्चों के अभिभावक स्कूल नहीं आते।

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इन जिलों में ज्यादा दिक्कतें

प्रदेश के कई जिलों में ज्यादा स्थिति खराब है। फतेहपुर, प्रयागराज, गाजीपुर, फर्रुखाबाद, बिजनौर, बहराइच, इटावा, पीलीभीत, कासगंज, जौनपुर, मेरठ, एटा, मिर्जापुर, कन्नौज, सुल्तानपुर। इन जिलों में स्थिति और ज्यादा खराब है। बच्चों के अभिभावक बुलाने पर नहीं आते। लखनऊ की स्थिति अच्छी है।

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राशन व सुविधाएं लेने में सबसे आगे

बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल आने में पीछे रहने वाले बच्चों के माता पिता मिड डे मील का राशन व कन्वर्जन कास्ट लेने में सबसे आगे रहते हैं। मिड डे मील प्राधिकरण के आंकड़े बताते हैं कि इन जिलों में करीब 90% बच्चों के अभिभावक राशन ले जा चुके। कन्वर्जन कास्ट भी ले जा चुके हैं। लेकिन बच्चों की पढ़ाई की वर्कशीट लेने के लिए स्कूल नहीं आते।

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बच्चों तक शिक्षण सामग्री पहुंचाने में लगा विभाग

महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद लगातार सुधार के प्रयास कर रहे हैं। 7 नवंबर को वह प्रदेश के सभी खंड शिक्षा अधिकारियों तथा डिस्टिक कोऑर्डिनेटर के साथ ऑनलाइन मुखातिब हुए। उन्होंने अभिभावकों के पास मोबाइल फोन, इंटरनेट तथा अन्य चीजों की कमी की बात सिरे से खारिज कर दी और अधिकारियों से कहा कि वह इस मामले में कोई बहानेबाजी नहीं सुनना चाहते हैं। हर बच्चे को ऑनलाइन शिक्षा देना है। अभिभावक को सीधे जोड़ा जाए। उससे संपर्क करें।

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