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‘अध्यापकों का विकल्प नहीं तकनीक’: डॉ. शर्मा

 ‘अध्यापकों का विकल्प नहीं तकनीक’: डॉ. शर्मा

माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश के पूर्व अपर निदेशक डॉ. इंद्रपाल शर्मा ने बताया कि जब वह एमएड और बीएड कर रहे थे, तब एजुकेशन टेक्नोलॉजी की बड़ी चर्चा थी। लोगों के मन में उस वक्त संदेह था कि भविष्य में अध्यापक नहीं होंगे या उनका काम खत्म हो जाएगा। वास्तविकता यह है कि आज भी शिक्षक का वही महत्व है, बल्कि अब शिक्षकों का काम और बढ़ा ही है।


निराला नगर स्थित सरस्वती कुंज में प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) उच्च तकनीकी (डिजिटल) सूचना संवाद केंद्र में पांच दिवसीय प्रशिक्षण सत्र के चौथे दिन शिक्षकों को डिजिटल लर्निग को लेकर प्रशिक्षित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इस बैच में विद्या भारती के काशी प्रांत के सुलतानपुर, प्रयागराज और काशी संभाग के कुल 36 शिक्षक शामिल हुए। मुख्य अतिथि डॉ. इंद्रपाल शर्मा ने कहा कि शिक्षा का रूप चाहे डिजिटल हो या कुछ और, शिक्षक के बिना शिक्षा संभव नहीं। उन्होंने शिक्षकों को उनकी जिम्मेदारियों से अवगत कराया और कहा कि हमारा कर्तव्य है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले। कोरोना काल में बदली परिस्थितियों में शिक्षकों की बच्चों के प्रति जिम्मेदारी बढ़ी है।

प्रशिक्षण वर्ग का संचालन दिनेश ने किया। इसके बाद शिक्षकों को पीपीटी के साथ स्मार्ट बोर्ड पर ऑनलाइन टीचिंग का प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर हेमचंद्र, उमाशंकर, राजेंद्र बाबू, भास्कर दुबे, विक्रम बहादुर सहित विद्या भारती के कई अधिकारी और शिक्षक मौजूद रहे।

प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते मुख्य अतिथि माध्यमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अपर निदेशक डॉ. इंद्रपाल शर्मा ’ जागरण

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