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रिटायरमेंट की उम्र में स्मार्टफोन चलाना सीख रहे गुरुजी

रिटायरमेंट की उम्र में स्मार्टफोन चलाना सीख रहे गुरुजी

केस वन: केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज में भूगोल के प्रवक्ता बृजलाल 31 मार्च को 62 वर्ष की आयु पूरी कर सेवानिवृत्त होंगे। अम्बेडकरनगर के बृजलाल अब तक की-पैड वाला साधारण फोन इस्तेमाल करते थे। लेकिन लॉकडाउन के बाद ऑनलाइन पढ़ाई के लिए उन्होंने जून में स्मार्ट मोबाइल खरीदकर क्लास के बच्चों का व्हाट्सएप ग्रुप बनवाया। चूंकि खुद बहुत अच्छे से न तो स्मार्टफोन चला पाते हैं और न फोटो खींच पाते हैं इसलिए रोज स्कूल खुलने से आधा घंटा पहले पहुंच जाते हैं। अध्यापक कक्ष में बैठकर उस दिन पढ़ाने वाले विषय को कॉपी पर लिखते हैं और फिर साथी शिक्षकों से अनुरोध करके नोट्स व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट करा देते हैं।

केस टू: गोपाल विद्यालय इंटर कॉलेज कोरांव के शिक्षक आजाद बहादुर सिंह की भी यही स्थिति है। वह 31 मार्च को सेवानिवृत्त होंगे। उन्होंने लॉकडाउन के बाद 18 अप्रैल को स्मार्टफोन खरीदा और अब अपने साथी शिक्षकों और परिवार के सदस्यों की मदद से ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं।

इसे शिक्षकों के पढ़ाने का जज्बा कहें या विभाग के दबाव का असर लेकिन एक सच यह भी है कि रिटायरमेंट की उम्र में पहुंच चुके कई शिक्षक अब स्मार्टफोन चलाना सीख रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को यू-ट्यूब, व्हाट्सएप आदि माध्यमों से बच्चों को पढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इसकी निगरानी प्रधानाचार्य से लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक और यूपी बोर्ड के सचिव तक कर रहे हैं। ऐसे में कई शिक्षक एंड्रायड फोन खरीदकर उसे सीखने की मशक्कत करते नजर आ रहे हैं।

उदाहरण के तौर पर वशिष्ठ सेवा संघ इंटर कॉलेज महेवा नहवाई मांडा के शिशिर श्रीवास्तव को ही लें। 31 मार्च को रिटायर होने जा रहे शिशिर ने 11 अप्रैल को स्मार्ट फोन खरीदा है। मोतीलाल नेहरू इंटर कॉलेज कौंधियारा के शिक्षक रामदेव भी 31 मार्च को रिटायर होंगे। उन्होंने भी 22 अप्रैल को स्मार्टफोन खरीदा है। इसी स्कूल के संतोष शुक्ला 31 मार्च 2026 को सेवानिवृत्त होंगे। उन्होंने 21 अप्रैल को स्मार्टफ़ोन खरीदकर ऑनलाइन पढ़ाना शुरू किया है।

इनका कहना है

कोरोना ने स्कूली शिक्षा के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी की है। इससे निपटने के लिए पूरा विभाग गंभीरता से प्रयास कर रहा है। निश्चित रूप से शिक्षकों ने अभूतपूर्व सहयोग दिया है। कई शिक्षक रिटायर होने वाले हैं लेकिन इसके बावजूद स्मार्टफोन सीखकर पढ़ाई करा रहे हैं।

आरएन विश्वकर्मा, जिला विद्यालय निरीक्षक

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