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24 फीसदी परिवारों के पास ही इंटरनेट या स्मार्टफोन की सुविधा, डिजिटल साक्षरता से आत्मनिर्भर बनेगा भारत

24 फीसदी परिवारों के पास ही इंटरनेट या स्मार्टफोन की सुविधा, डिजिटल साक्षरता से आत्मनिर्भर बनेगा भारत

भारत में साक्षरता दर तो तमाम राज्यों में 75 से 90 फीसदी तक पहुंच गई ई है, लेकिन डिजिटल शिक्षा तक सबको पर पहुंच अभी दूर की कौड़ी है। कोविड काल में पांच स्कूल बंद होने के बीच यूनिसेफ की रिपोर्ट कहती है कि देश के करीब 24 फीसदी परिवारों के दौर पास ऑनलाइन शिक्षा के लिए जरूरी इंटरनेट या स्मार्टफोन नहीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा मिले तभी देश में आगे सही मायनों आधुनिक और आत्मनिर्भर बनेगा।

यूनिसेफ से  मिली जानकारी के मुताबिक, परिवारों की आर्थिक स्थिति बिगड़ने, शिक्षा प्रशिक्षण की सेवाएं बंद होने का गरीब बच्चों पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है। ऑनलाइन शिक्षा के लिए जरूरी संसाधन ही गरीब बच्चों के पास के पास नही है। बिहार, झारखंड, ओडिशा जैसे राज्यों के गरीब अलावा उत्तर प्रदेश, प्रदेश और महाराष्ट्र के पिछड़े इलाकों में इसका मिल रहा है। ज्यादा प्रभाव देखने को संगठन का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा के लिए स्मार्टफोन, लैपटॉप और कंप्यूटर जैसे संसाधनों से वंचित गरीब परिवारों के पास स्कूल ही शिक्षा सर्वोत्तम मा धन था, जहां मिड डेमील के जरिये उन्हें पोषणयुक्त आहार भी मिलता था, लेकिन यह व्यवस्था गड़बड़ा गई है। जिन घरों में स्मार्टफोन था भी वे बिजली या बेहतर इंटरनेट दिवस पर शिक्षा ग्रहण करने में परेशानी महसूस कर यूनिसेफ ने आगाह किया है कि डिजिटल शिक्षा को लेकर यह समानता बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य भी असर डाल रही है। युनिसेफ का कहना है कि डिजिटल एजुकेशन सीखने-समझने की क्षमता को बढ़ाने में काफी कारगर है। लिहाजा कोविड का खत्म होने के बाद भी सकी स्कूली कक्षाओं के साथ ही डिजिटल शिक्षा को अनिवार्य अंग बनाना चाहिए। ताकि गांव-कस्बों के बच्चे भी प्रतिस्पर्धा में आ सके और शिक्षा जगत के आधुनिक बदलावों से रूबरू हो सके।

नेटवर्क न होने के कारण ऑनलाइन विशेष रहे हैं। शहरों के मुकाबले गांवों में और लड़कों के मुकाबले लड़कियों में यह असर ज्यादा दिख रहा है। बच्चों की भी तक टीवी-रेडियो तक नहीं हैं।

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