Header Ads

मतदाता पहचान पत्र से लिंक आधार का डाटा अलग नहीं हो सकता


भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा चलाए गए अभियान के तहत आधार कार्ड से लिंक हुए करोड़ों मतदाताओं के मतदाता पहचान पत्र (वोटर्स आइडेंटिफिकेशन कार्ड) चाहकर भी अलग नहीं हो सकते। मतदाता पहचान पत्र के साथ जोड़े गए आधार कार्ड की जानकारी को अलग करने का फिलहाल कोई प्रावधान नहीं है।

केंद्रीय कानून मंत्री ने हाल ही में बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी थी। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा को बताया था कि भारतीय निर्वाचन आयोग ने यह जानकारी दी है कि चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम 2021 द्वारा संशोधित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के तहत निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों को मौजूदा या भावी मतदाताओं को पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से स्वैच्छिक आधार पर आधार कार्ड संख्या प्रदान करने की अनुमति देता है।

निर्वाचन आयोग ने 4 जुलाई, 2022 के अपने निर्देश के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1 अगस्त, 2022 से स्वैच्छिक आधार पर मौजूदा और संभावित मतदाताओं की आधार संख्या एकत्र करने का कार्यक्रम शुरू किया था। कानून मंत्री ने बताया कि निर्वाचन आयोग ने जानकारी दी कि वोटर आईडी के साथ आधार नंबर जमा करना स्वैच्छिक है और आधार की जानकारी लेने के लिए मतदाताओं से फॉर्म 6बी में सहमति ली जाती है।

मौजूदा समय में यदि कोई मतदाता अपनी सहमति वापस लेता है तो मतदाता पहचान पत्र से उसके आधार कार्ड की जानकारी हटाने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। हालांकि कानून मंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत, निर्वाचन आयोग मतदाता सूची की तैयारी के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है और बहुस्तरीय सुरक्षा के साथ डाटा बनाए रखता है।


आधार लिंक नहीं करने से एक भी मतदाता का नाम नहीं कटा

● लोकसभा में दी गई जानकारी में कहा था कि वोटर आईडी कार्ड से आधार कार्ड लिंक नहीं करने से किसी भी वोटर का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया है।

● देश के लगभग 60 फीसदी यानी 56 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने वोटर कार्ड को आधार कार्ड से लिंक किया।

कोई टिप्पणी नहीं