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शिक्षकों की तबादला नीति : शहर के करीब स्कूलों में ‘बाहरी’, अपने घर में बेगाने गुरुजी


तबादले की मनमानी नीति के कारण परिषदीय शिक्षक अपने ही जिले में बेगाने बैठे हैं। 2017 से 2023 तक तीन बार शिक्षकों का अंतरजनपदीय तबादला हो चुका है।

2017 और 2019 में गैर जिले से स्थानांतरित होकर आए शिक्षकों को शहरी सीमा के आसपास तैनाती भी मिल गई, लेकिन मूलरूप से जिले में चयनित शिक्षक पिछले सात साल से एक से दूसरे विकासखंड में ओपन ट्रांसफर के लिए तरस रहे हैं। जिसका नतीजा है कि सैकड़ों शिक्षक 70 से 100 किलोमीटर दूर तक के स्कूल रोज अप-डाउन कर रहे हैं। आखिरी बार 2016 में शिक्षकों के जिले के अंदर ओपन ट्रांसफर हुए थे। बड़ी संख्या में शिक्षक परेशान हैं। यह स्थिति तब है जबकि परिषदीय शिक्षक का पद जिले कैडर का है।

प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने 27 जुलाई 2022 को समायोजन /स्थानांतरण का आदेश जारी किया था। 14 फरवरी 2023 को जारी आदेश में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में क्रमश आठ व छह से अधिक शिक्षक होने पर समायोजन/स्थानांतरण का विकल्प खोला गया है। अध्यापक तैनाती नियमावली 2010 के अनुसार जिले में ग्रामीण कैडर में पिछड़े और अगड़े ब्लॉक हैं, जिसमें पिछड़े ब्लॉक में पुरुष शिक्षकों को सेवा के प्रथम पांच वर्ष की तैनाती दी जानी अनिवार्य है। लेकिन इसके विपरीत नवनियुक्त और अंतर्जनपदीय शिक्षकों को अगड़े ब्लॉक में सीधे तैनात किया गया है।


शिक्षा का अधिकार अधिनियम में प्रावधान है कि हर साल 31 जुलाई तक शिक्षकों का समायोजन हो जाना चाहिए। शिक्षक व छात्र का अनुपात और शिक्षकों के रिक्त पदों की जानकारी जिले की एनआईसी वेबसाइट पर सार्वजनिक होनी चाहिए। लेकिन प्रयागराज में 2018 के बाद से ऐसा कोई भी डाटा जिले की एनआईसी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।


प्रदेशभर में हजारों दिव्यांग, महिला, एकल अभिभावक, गंभीर बीमारी से ग्रसित, दंपति शिक्षकों को भी उनके घर अथवा पति/पत्नी के विद्यालय से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित स्कूलों में नियुक्ति देने के बाद विभाग और सरकार भूल चुकी है।

-अनिल राजभर, शिक्षक

जिले के अंदर ओपन ट्रांसफर के लिए शासनादेश जारी हो चुका है। पोर्टल भी तैयार है। प्रमोशन पूरे होने के बाद पारस्परिक तबादले के अलावा ओपन ट्रांसफर भी होंगे। -विजय किरन आनंद, महानिदेशक स्कूल शिक्षा

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